आई घड़ी सुखदाई हो, राम राजा बने हैं

आई घड़ी सुखदाई हो, राम राजा बने हैं
  •  वनवास खत्म होने के  बाद संभाला सिंहासन, कुंवर अनंत नारायण सिंह ने किया राजतिलक 

वाराणसी (रणभेरी सं.)। अयोध्या आज हर तरह से पूरी हुई। जिस राम राज्य की कल्पना लोगों ने वर्षों से कर रखी थी, उसने आज साकार रूप लिया। भरत ने जिस अयोध्या के सिंहासन पर श्रीराम की चरण पादुका स्थापित कर त्याग का आदर्श स्थापित किया था, उस सिंहासन को उसका स्वामी आज सुशोभित कर रहा था। श्रीराम अयोध्या के राजा बने तो पृथ्वीलोक ही नहीं, देवलोक भी इतरा उठा। चारों वेद तक स्तुतिगान करने लगे। अयोध्या का क्या पूछना। घर-घर घी के दिये जलाए गए तो लोग सारी रात इस खुशी का जश्न मनाने में डूबे रहे। घर-घर घी के दीए जलाए गए। लोगों की जुबां बस एक ही बात थी रही थी। बोल दे राजा रामचन्द्र की जय .......।

रामलीला के उन्तीसवें दिन मंगलवार को श्रीरामराज्याभिषेक की लीला हुई। प्रसंग के अनुसार गुरू वशिष्ठ सूर्य के समान चमकता हुआ दिव्य सिंहासन मंगाते है। श्रीराम उनको प्रणाम करके पत्नी सीता के साथ सिंहासन पर बैठते हैं। वैदिक मंत्रोचार के बीच गुरु वशिष्ठ उनका राजतिलक करते हैं। सभी ब्राह्मण ने उनको आशीर्वाद देते हैं। तीनों लोकों में उनकी जय-जयकार गूंजने लगती है। देवता प्रसन्न होकर पुष्प वर्षा करते हैं। उसके बाद परंपरा अनुसार अनंत नारायण सिंह और काशीराज परिवार के अन्य लोग राजा राम को नजर पेश कर आशीर्वाद लेते हैं। माताएं प्रसन्न होकर ब्राह्मणों को दान दक्षिणा देती हैं। भगवान शिव अयोध्या आते है और श्रीराम की महिमा बखान कर उनका गुणगान करते हैं। श्रीराम राज्यभिषेक की शोभा का गुणगान करके वह वापस कैलाश चले जाते हैं। चारों वेद आते हैं और श्रीराम की स्तुति करते हैं। उसके उपरांत श्रीराम वन से आये अपने मित्रों को पास बुलाकर कहते हैं कि तुमने हमारी हर प्रकार से सेवा की है। मैं किस मुख से बड़ाई करूं। तुम लोग मुझे अति प्रिय हो। उन्होंने सभी को अपने घर वापस जाने के लिए कहा। साथ ही उनकी वस्त्र एवं आभूषण आदि देकर विदाई की, लेकिन हनुमान कुछ दिन अयोध्या में रहकर प्रभु की सेवा करने की सुग्रीव से अनुमति मांग कर रुक जाते हैं। इसके उपरांत श्रीराम सीता समेत चारों भाइयों के साथ पूरी रात लीला प्रेमियों को दर्शन देते हैं। प्रभु राजा राम का दर्शन करने जनसैलाब उमड़ पड़ा। हर घर से लोग निकले और अयोध्या मैदान पहुंच कर दर्शन पूजन किया। श्रीरामराज्याभिषेक की लीला देखने कुंवर अनंत नारायण सिंह किले से पैदल चल कर अयोध्या पहुंचे और जमीन पर बैठकर उन्होंने लीला का अवलोकन किया।