भारत की निकहत जरीन ने वर्ल्ड बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में गोल्ड जीतकर रचा इतिहास

भारत की निकहत जरीन ने वर्ल्ड बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में गोल्ड जीतकर रचा इतिहास

(रणभेरी): भारतीय महिला बॉक्सर निकहत जरीन ने 19 मई गुरुवार को भारत के नाम बहुत बड़ा इतिहास रचा। 24 वर्षीय निखत जरीन ने इस्तांबुल में आयोजित विमेंस वर्ल्ड चैंपियनशिप के फाइनल में थाईलैंड की जिटपोंग जुटामस को 5-0 से हराकर गोल्ड मेडल अपने नाम किया। निकहत जरीन इस वक्त खबरों से लेकर सोशल मीडिया पर छाई हुई हैं। सोशल मीडिया पर भारत की इस जरीन बेटी को लोग दिल खोलकर दुआएं दे रहे हैं। इसी बीच एक बहुत ही खूबसूरत बात भी सामने आई है, दरअसल सोशल मीडिया पर लोगों ने 'निकहत जरीन' के नाम के बारे में भी जिक्र किया है और उन्हें उनके नाम के अनुरूप ही बताया है।निकहत' एक सूफी शब्द है दरअसल 'निकहत' एक सूफी शब्द है जिसका अर्थ होता है 'सुगंध', 'खुशबू' या 'महक' जबकि 'जरीन' का अर्थ होता है ' स्वर्ण यानी की गोल्ड' इसलिए लोगों ने निकहत को उनके नाम के अनुरूप बता दिया है क्योंकि आज एक 'गोल्ड' ने 'सोना' जीतकर जीत की खुशबू जो फैला दी है, जिस पर हर भारतीय को नाज है।ये निकहत जरीन वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाली पांचवी भारतीय महिला बॉक्सर है।

 निकहत का जन्म 14 जून को तेलंगाना राज्य के निजामाबाद शहर में हुआ। उनकी माता का नाम परवीन सुल्ताना और पिता का नाम मोहम्मद जमील अहमद है। बता दें कि बचपन से ही निकहत की दिलचस्पी बॉक्सिंग में थी, जिस कारण 13 साल की उम्र में ही उन्होंने बॉक्सिंग सीखना शुरू कर दिया। निकहत के मुक्केबाज बनने की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है। निखत के पिता मोहम्मद जमील फुटबॉल और क्रिकेट खेलते थे, जिस कारण वो अपनी 4 बेटियों को भी खिलाड़ी ही बनाना चाहते थे। यही वजह थी कि निकहत ने जब एथलेटिक्स की तरफ जाने का फैसला, तो पिता ने भी इस फैसले में उनके साथ नजर आए। आसपास के लोगों ने इस बात का खुलकर विरोध किया, लेकिन इसके बावजूद भी निकहत के घर वाले उनके साथ खड़े रहे।14 साल की उम्र में ही निकहत वल्ड यूथ बॉक्सिंग चैम्पियन बन गईं। जिसके बाद उन्होंने एक-एक कर कामयाबी अपने नाम की, ऐसे में विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड लाना भी निकहत के करियर का अहम पड़ाव है।निकहत के चाचा शम्सुद्दीन के दोनों बच्चे मुक्केबाज थे। यही वजह थी कि निखत को मुक्केबाज बनने की प्रेरणा खुद से ही मिली। बता दें कि जब सन 2000 के दशक में मुक्केबाजी की शुरुआत हुई, तब बहुत कम महिलाएं ही इस मुकाबले में नजर आती थीं। लेकिन इन सब के बावजूद भी निकहत के पिता ने उन्हें बॉक्सिंग करने के लिए कभी भी नहीं रोका। 

निकहत ने बॉक्सिंग को करियर के रूप में चुनने का फैसला लिया। तब उनके रिश्तेदारों और दोस्त यही कहते थे कि लड़की को ऐसे स्पोर्ट्स नहीं खेलने चाहिए, जिसमें शॉर्ट्स पहनने पड़ते हैं। जिस कारण उन्हें रिश्तेदारों से काफी कुछ सुनने को मिलता रहा, इन सब के बावजूद भी निकहत ने हिम्मत नहीं हारी और सब की बातों का जवाब गोल्ड मेडल जीतकर दिया। बॉक्सिंग की दुनिया में मैरीकॉम सबसे चर्चित काम हैं, बता दें कि निकहत ने उनके साथ भी बॉक्सिंग के मुकाबले लड़े हैं। वर्ल्ड चैंपियनशिप तक पहुंचने के लिए निकहत को मैरीकॉम से रिंग के भीतर और बाहर अपने हक की लड़ाई लड़नी पड़ी। आखिरकार इतने समय बाद निकहत को वर्ल्ड चैंपियनशिप जीतने का मौका मिला।