भीषण गर्मी में थोथे दावों की पोल खोल रही बिजली

जिम्मेदारों का नहीं उठता फोन, पूरी रात बिजली विभाग को कोसते हैं लोग, सिगरा-महमूरगंज जैसे पॉश क्षेत्रों में भी बिजली की आंख मिचौली
वाराणसी (रणभेरी सं.)। जून की झुलसाती गर्मी में बिजली विभाग के वादे पूरी तरह से फेल हो चुके हैं। शहर के तमाम इलाके रात के समय घने अंधेरे में डूबे रहते हैं, जबकि दिन में उमस और लू से परेशान लोग बिजली की आंख-मिचौली से बेहाल हैं। महमूरगंज, सिगरा, गुरुबाग, कचहरी, रामकटोरा, भेलूपुर, सारनाथ और लक्सा जैसे घनी आबादी वाले इलाकों में हर दो-तीन घंटे के अंतराल पर ट्रिपिंग आम हो गई है। लोगों की शिकायत है कि बिजली गुल होने के बाद न तो कोई सूचना मिलती है और न ही जिम्मेदार अधिकारियों से संपर्क हो पाता है। कॉल करने पर उनके फोन या तो बंद मिलते हैं या ह्यनेटवर्क नहीं मिलने जैसी टोन सुनाई देती है। दिनभर की थकान के बाद रात में चैन की नींद की उम्मीद कर रहे लोग हर घंटे पसीने से तर-बतर हो रहे हैं। छोटे बच्चे, बुजुर्ग और बीमार सबसे ज्यादा परेशान हैं। बिजली विभाग ने दावा किया था कि गर्मी में निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी, लेकिन जमीनी हकीकत ठीक इसके उलट है। न कोई शेड्यूल, न कोई सूचना...अघोषित कटौती और बार-बार की ट्रिपिंग ने आमजन का जीना मुहाल कर दिया है। सवाल यह है कि जब गर्मी हर साल आती है, तो उसके लिए तैयारियां समय से क्यों नहीं होतीं? जनता जवाब मांग रही है, लेकिन जवाबदेह अफसर गायब हैं।
ट्रांसफॉर्मर और फीडर की हालत खस्ता, ओवरलोडिंग से ट्रिपिंग आम
सीगरा-महमूरगंज क्षेत्र में रात 1 बजे से सुबह 4 बजे तक लगातार बिजली नहीं रही। बीते तीन दिनों से रात की ट्रिपिंग से लोग बेहाल हैं। बुधवार की रात गई बिजली अगले सुबह गुरुवार को आई। स्थानीय निवासी कहते हैं कि गर्मी से बच्चे रोते रहे, बुजुर्गों का दम घुटता रहा लेकिन बिजली की समस्या नहीं सुधरी।
बीते कुछ दिनों से हर रोज ऐसा ही हो रहा है। विभाग से फोन पर कोई जवाब नहीं मिलता। महमूरगंज निवासी पूजा मिश्रा ने बताया कि दिन में तीन बार बिजली चली जाती है, और जब आती है तो वोल्टेज इतना कम होता है कि पंखा भी ठीक से नहीं चलता। रात को भी बेतहाशा ट्रिपिंग हो रहे। सुबह दफ्तर जाने वाले ठीक से सो नहीं पा रहे हैं। फीडर ओवरलोड हैं, ट्रांसफॉर्मर क्षमता से ज्यादा दबाव में हैं, लेकिन विभाग का रुख पूरी तरह उदासीन है।
ऊर्जा मंत्री के निर्देश हवा में, जमीनी हकीकत शर्मनाक
सरकार की ओर से प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में 24 घंटे निर्बाध बिजली आपूर्ति के वादे किए जाते हैं। ऊर्जा मंत्री समीक्षा बैठकों में दावा करते हैं कि बिजली व्यवस्था पहले से बेहतर हुई है। लेकिन जमीनी सच्चाई इन दावों की पोल खोल रही है। शहर के कई इलाके लगातार बिजली कटौती से जूझ रहे हैं।
गर्मी में राहत देने के बजाय बिजली विभाग खुद ही परेशानी का कारण बन गया है। रात में ट्रिपिंग और दिन में लंबे समय तक बिजली गायब रहने से आमजन का जीना मुश्किल हो गया है। जिन इलाकों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए, वहां अंधेरा पसरा है। जिम्मेदारों के मोबाइल स्विच आॅफ रहते हैं और शिकायतों पर कोई सुनवाई नहीं होती। वादों और हकीकत के बीच की इस खाई ने व्यवस्था की पोल खोल दी है। जनता सवाल पूछ रही है...क्या सिर्फ दावे ही विकास का चेहरा बन गए हैं।
बिजली विभाग के नंबर बने शोपीस
रातभर बिजली गायब रहती है और लोग विभाग के कंट्रोल रूम या एसडीओ को कॉल करते हैं, लेकिन जवाब नहीं मिलता। कई कॉल रिकॉर्ड किए गए जिसमें टोन बजती रही, लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया। सोशल मीडिया पर भी शिकायतों की बाढ़ आ चुकी है, लेकिन बिजली विभाग सुधार की प्रक्रिया जारी है,जैसे घिसे-पिटे जवाब देकर पल्ला झाड़ रहा है।
शहरवासियों का सवाल... जवाबदेही किसकी ?
लोगों का सवाल है कि जब हजारों करोड़ की बिजली व्यवस्था सुधारने में खर्च हो चुके हैं, तो फिर क्यों नहीं हो पा रही है आपूर्ति सामान्य ? क्यों नहीं होती फीडरों की समय से मरम्मत ? क्यों नहीं होते ट्रांसफॉर्मर अपग्रेड? और सबसे अहम सवाल है कि जब हम समय से बिल देते हैं, तो विभाग क्यों नहीं देता समय से सेवा ?
विभागीय लापरवाही बनी जनजीवन के लिए अभिशाप
भीषण गर्मी और उमस से बेहाल जनता को जब सबसे अधिक राहत की जरूरत है, तब बिजली विभाग की आंखमिचौली लोगों के सब्र की परीक्षा ले रही है। रात-दिन बिजली की अनियमित आपूर्ति ने आम जनजीवन को संकट में डाल दिया है। जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं, मानो उन्हें जनता की तकलीफों से कोई सरोकार ही नहीं। यह न सिर्फ विभागीय विफलता है, बल्कि सरकार के सुशासन के दावों की भी पोल खोलता है। हर समीक्षा बैठक में किए जाने वाले बड़े-बड़े वादे अब खोखले साबित हो रहे हैं। यदि हालात नहीं सुधरे, तो जनाक्रोश भड़कने की संभावना है।