राज्यसभा में पीएम मोदी ने की सभापति धनखड़ की तारीफ, कहा- आप सदन की शोभा बढ़ा रहे

राज्यसभा में पीएम मोदी ने की सभापति धनखड़ की तारीफ, कहा- आप सदन की शोभा बढ़ा रहे

(रणभेरी): संसद का शीतकालीन सत्र आज बुधवार से शुरू हो गया। इस सत्र में कुल 17 कार्य दिवस होंगे। यह राज्यसभा का 258वां सत्र है। संसद के शीतकालीन सत्र के लिए भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के एजेंडे में 16 नए बिल शामिल हैं। लोकसभा पहले दिन उन सदस्यों को श्रद्धांजलि दी गई जिनका निधन सत्र के दौरान हुआ है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ का स्वागत किया। पीएम मोदी ने कहा कि मैं इस सदन के साथ-साथ राष्ट्र की ओर से सभापति (उपराष्ट्रपति) को बधाई देता हूं। आप संघर्षों के बीच जीवन में आगे बढ़ते हुए इस मुकाम पर पहुंचे हैं, यह देश के कई लोगों के लिए प्रेरणा है। आप सदन में इस महती पद की शोभा बढ़ा रहे हैं। साथ ही उन्होंने कहा- 'आज आप संसद के उच्च सदन के मुखिया के रूप में अपनी नई जिम्मेदारी का औपचारिक आरंभ कर रहे हैं। आज पहली बार महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के रूप में देश की गौरवशाली आदिवासी विरासत हमारा मार्ग दर्शन कर रही है। इससे पहले भी रामनाथ कोविंद ऐसे ही वंचित समाज से निकलकर देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचे थे. और अब एक किसान के बेटे के रूप में आप भी करोड़ों देशवासियों की, गांव गरीब और किसान की ऊर्जा का प्रतिनधित्व कर रहे हैं। 

इसके बाद, कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी सभापति का स्वागत किया. उन्होंने कहा- 'उच्च सदन के संरक्षक के रूप में आपकी भूमिका बाकी भूमिकाओं से बहुत बड़ी है.' उन्होंने उन्हें भूमिपुत्र कहा उन्होंने आगे कहा- 'पंडित नेहरू ने कभी राज्यसभा के अधिकारों को कम नहीं होने दिया. उन्होंने 1953 में बजट सत्र को दौरान साफ कहा था कि लोकसभा और राज्यसभा साथ मिलकर भारत की संसद बनाते हैं. हमारे संविधान के अनुसार दोनों सदनों की ऑथॉरिटी के बीच, मनी बिल्स को छोड़कर कोई अंतर नहीं है.' 

उन्होंने आगे कहा कि विपक्ष के लोग संख्या बल में भले ही कम हों, लेकिन उनके अनुभवों में ताकत होती है. लेकिन समस्या यह है कि इनकी जगह नंबरों की गिनती होती है, विचारों के बारे में नहीं सोचा जाता. उन्होंने कहा कि विपक्ष की तरफ से हम यही कहना चाहते हैं कि हम आपको अपनी तरफ से पूरा-पूरा सहयोग देंगे. उन्होंने अपनी बात एक शेर पढ़कर खत्म की. उन्हों कहा-  'मेरे बारे में कोई राय मत बनाना ग़ालिब, मेरा वक्त भी बदलेगा, मेरी राय भी बदलेगी'