रामनगर में  फलता-फूलता गैस रीफिलिंग का अवैध धंधा 

रामनगर में  फलता-फूलता गैस रीफिलिंग का अवैध धंधा 

कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति, खुलेआम होती है गैस की आपूर्ति 

रोजाना दर्जनों आटो व अन्य वाहनों के लिए रिफिलिंग में खपाए जा रहे हैं घरेलू सिलेंडर 

राहुल सावर्ण

वाराणसी (रणभेरी )। रामनगर में अवैध गैस रिफिलिंग का करोबार तेजी से फैल रहा है। यहां पर अवैध तरीके से गैस रिफिलिंग का धंधा खुलेआम जारी है, जिसमें घरेलू गैस सिलेंडरों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस गतिविधि ने न केवल स्थानीय निवासियों की सुरक्षा को खतरे में डाला है, बल्कि यह प्रशासन और पुलिस की निष्क्रियता पर भी सवाल उठ रहा है। सूत्रों की माने तो रामनगर में अवैध गैस रिफिलिंग का धंधा अत्यधिक संगठित रूप से चल रहा है। स्थानीय गैस एजेंसियों के माध्यम से गैस सिलेंडर चोरी छिपे इकट्ठा किए जाते हैं, जिन्हें फिर से भरा जाता है। यह प्रक्रिया अक्सर बिना किसी मानक और सुरक्षा उपायों के होती है, जिससे विस्फोट या आग लगने का खतरा बढ़ जाता है। यहां तक कि घरेलू गैस सिलेंडरों का उपयोग आटो और अन्य वाणिज्यिक वाहनों के लिए किया जा रहा है।

खानापूर्ति की कार्रवाई

सरकारी अधिकारियों द्वारा कार्रवाई के नाम पर केवल खानापूर्ति की जाती है। कभी-कभी, जब मीडिया में मामला उठता है, तो पुलिस या प्रशासन कुछ देर के लिए सक्रिय हो जाते हैं, लेकिन यह सब एक दिखावा होता है। जांच के नाम पर केवल औपचारिकताएं पूरी की जाती हैं, जबकि वास्तविक समस्या जस की तस बनी रहती है।

स्थानीय निवासियों की चिंता

रामनगर के स्थानीय निवासी इस समस्या से बेहद परेशान हैं। कई लोगों का कहना है कि उन्होंने कई बार स्थानीय प्रशासन को शिकायत की, लेकिन कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया गया। अवैध गैस रिफिलिंग की वजह से न केवल उनके जीवन और संपत्ति को खतरा है, बल्कि यह पर्यावरण को भी गंभीर नुकसान पहुंचा रहा है। रामनगर में अवैध गैस रिफिलिंग का धंधा न केवल एक आर्थिक गतिविधि है, बल्कि यह एक जानलेवा खेल बन चुका है। जिम्मेदारों की लापरवाही और स्थानीय पुलिस की मौन सहमति ने इस समस्या को और बढ़ा दिया है। यदि जल्द ही इस पर कार्रवाई नहीं की गई, तो यह न केवल रामनगर, बल्कि इसके निवासियों के लिए एक गंभीर संकट बन सकता है।

प्रशासन की उदासीनता

रामनगर के लोग इस अवैध गतिविधि से लगातार भयभीत रहते हैं। उन्होंने कई बार पुलिस और खाद्य विभाग को इसकी जानकारी दी है, लेकिन प्रशासन द्वारा केवल खानापूर्ति की जाती है। आरोप है कि इस कारोबार को चलाने के लिए अवैध रूप से हर महीने कमीशन दिया जाता है, जिससे इस अवैध कार्य को प्रशासन की अनदेखी मिलती है।

राजस्व को नुकसान

यह अवैध गैस रिफिलिंग न केवल सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक है, बल्कि सरकार को भारी राजस्व नुकसान भी पहुंचा रहा है। घरेलू गैस सिलेंडरों को ब्लैक में खरीदकर छिपा कर रखा जाता है। हालांकि, प्रशासन द्वारा समय-समय पर इन सिलेंडरों की जब्ती की जाती है, लेकिन अवैध कारोबार फिर भी बिना किसी डर के फलता-फूलता रहता है।

 रीफिलिंग की प्रक्रिया

अवैध रिफिलिंग के लिए एक घरेलू सिलेंडर से छोटे सिलेंडर में गैस भरने हेतु "टी" नामक उपकरण का उपयोग किया जाता है। इसमें 5-10 मिनट का समय लगता है, और यदि गैस भरने के दौरान कोई गड़बड़ी हो जाए, तो आसपास की आग से सिलेंडर फटने का बड़ा खतरा रहता है। 

बड़े हादसे होने का डर

घरेलू सिलेंडरो के अवैध रूप से हो रहे प्रयोगों से सरकारी खजाने से लेकर आम जनता को काफी नुकसान होता है। लेकिन इसके बाद भी एलपीजी गैस सिलेंडरों की कालाबाजारी करने वालों का कारोबार तेजी के साथ पूरे शहर में फल फूल रहा है। पिछले कुछ वर्ष में गैस रिफिलिंग के कारण से हुए हादसों से भी प्रशासन सबक सीखने को तैयार नही है। देखना ये होगा कि प्रशासन कुंभकरण की नींद से जागेगा या फिर कुंभकरण की नींद में ही  सोया रहेगा।

हाईवे पर भी चलता है अवैध गैस रिफिलिंग का धंधा 

हाइवे किनारे भी खुलेआम घरेलू गैस सिलेंडरों से छोटे सिलेंडरों में गैस रिफिल की जाती है। मुख्य उपभोक्ता ट्रक ड्राइवर होते हैं, जो खाना पकाने के लिए यह गैस भरवाते हैं। इस अवैध गतिविधि के बावजूद प्रशासन और खाद्य विभाग इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। आबादी क्षेत्र में ट्रक ड्राइवर और अन्य ग्राहकों की भीड़ लगी रहती है, और उन्हीं दुकानों के बगल में खुलेआम गैस रिफिलिंग का कार्य किया जाता है। यह एक बेहद खतरनाक काम है, जिसमें किसी भी छोटी चूक से बड़ी दुर्घटना हो सकती है।

जिम्मेदारों की लापरवाही

स्थानीय पुलिस और प्रशासन की मौन सहमति ने इस धंधे को और बढ़ावा दिया है। अवैध रिफिलिंग के संचालकों को पुलिस से प्रत्यक्ष समर्थन प्राप्त है, जिससे उन्हें किसी भी प्रकार की कार्रवाई का डर नहीं है। इसके परिणामस्वरूप, स्थानीय लोगों में भय और असुरक्षा की भावना बढ़ती जा रही है। जब भी स्थानीय निवासियों ने इस मुद्दे को उठाने की कोशिश की है, तो उन्हें या तो अनसुना कर दिया गया है या फिर पुलिस द्वारा कार्रवाई की उम्मीदें नष्ट हो गई हैं।

घरेलू गैस सिलिंडर रीफिलिंग में जोरों पर चल रहा छोटे सिलिंडरों का काला कारोबार

वाराणसी शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में रसोई गैस की घटतौली का नेटवर्क छोटे सिलिंडर से होकर गुजर रहा है। जिला प्रशासन के नाक के नीचे धड़ल्ले से हो रहे इस बड़े धंधे पर कभी लगाम नहीं लगी। हर गली और चौक-चौराहे पर छोटी-छोटी दुकानों में रीफिलिंग का कारोबार चल रहा है। शहर के ऐसे इलाके जहां लॉज और किराए पर रूम लेकर रहने वाले छात्रों की संख्या अधिक है, वहां अवैध छोटे सिलिंडरों को बेचने और रीफिलिंग का धंधा बड़े पैमाने पर हो रहा है। कई मोहल्लों में तो किराना दुकान, चाय-स्टॉल आदि पर भी यह कारोबार चल रहा है। इन इलाकों में अवैध रीफलिंग करने वालों को गैस सिलिंडर ट्राली मैन ही उपलब्ध कराते हैं तो कुछ ट्राली मैन खुद रीफलिंग करते हैं। 
छात्र और किराये के मकान में रहने वाले लोग पांच किलो और ढाई किलो के छोटे गैस सिलिंडर का इस्तेमाल करते हैं। अवैध रीफिलिंग करने वाले 100 से 200 रुपये अधिक कीमत पर गैस कंपनियों के वेंडरों से सिलिंडर खरीदता है। छोटे गैस सिलिंडर में 95 रुपये से लेकर 110 रुपये प्रति किलो तक के हिसाब से गैस भरी जाती है। इस तरह अवैध गैस रिफलिंग में एक सिलिंडर से दोगुना तक फायदा है।

रामनगर में गैस रीफिलिंग का भंडाफोड़

रामनगर थाना क्षेत्र के टेंगरा मोड़ के पास एक गिट्टी-बालू के गोदाम के निकट आपूर्ति विभाग ने अवैध गैस रिफिलिंग के धंधे का भंडाफोड़ किया है। छापेमारी के दौरान तीन गैस सिलेंडर, गैस भरने के उपकरण और तौलने का तराजू बरामद किया गया। मंगलवार दोपहर आपूर्ति विभाग को मिल रही लगातार शिकायतों के आधार पर जब छापा मारा गया, तो इलाके में हड़कंप मच गया। हालांकि, मौके का फायदा उठाकर अवैध गैस रिफिलिंग करने वाला व्यक्ति फरार हो गया। सूत्रों के अनुसार, इस अवैध गैस रिफिलिंग केंद्र पर घरेलू गैस सिलेंडर से आटो और छोटे सिलेंडरों में गैस भरी जाती थी। विभाग ने मौके से बरामद सभी उपकरणों को जब्त कर लिया है और फरार आरोपी की पहचान कर उसे पकड़ने के प्रयास जारी हैं। इस मामले में सबसे बड़ी बात यह है कि रामनगर भीटी पुलिस चौकी के पीछे यह पूरा खेल चल रहा था। इस पूरे प्रकरण की पुलिस को खबर भी नहीं थी। 

इन इलाकों में रीफलिंग का कारोबार

कोचिंग का हब माने जाने वाले दुगार्कुंड के कबीरनगर इलाके सहित अन्य कालोनियों, लंका, अस्सी, सामनेघाट, रामनगर भीटी, सोनारपुरा, नई सड़क, चेतगंज, बेनिया, औरंगाबाद, पितरकुंडा, लल्लापुरा, लहुराबीर, कबीरचौरा, नदेसर, अर्दली बाजार, पांडेयपुर, आशापुर सहित शिवपुर आदि इलाकों में यह धंधा जोरों पर है। वहीं मोमोज और फास्टफूड का स्टाल लगाने वाले इन छोटे सिलिंडर का इस्तेमाल कर रहे हैं।