बीएचयू अस्पताल में हड़ताल से मरीजों की बड़ी परेशानी
इलाज नहीं, तो वेतन भी नहीं, महामारी एक्ट लगते ही जूनियर रेजिडेंटो को खाली करने होंगे हॉस्टल
वाराणसी (रणभेरी): सुप्रीप कोर्ट में नीट-पीजी काउंसिलिंग के लिए देरी से होने वाली सुनवाई के खिलाफ चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू के जूनियर रेजिडेंटों ने बुधवार को भी लगातार दूसरे दिन इमरजेंसी सेवाएं बाधित रही। इसके कारण सामान्य मरीजों की भर्ती व ओटी स्थगित हो गई है। इसके कारण यहां आने वाले सैकड़ों मरीजों को वापस लौटना पड़ रहा है। इमरजेंसी वार्ड में उन्हीं मरीजों को लिया जा रहा है जो गंभीर हैं। वहीं ओपीडी में सीनियर डाक्टर व सीनियर रेजिडेंट मोर्चा संभाले हुए हैं। एक तरफ जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बनारस आने वाले हैं वहीं दूसरी तरफ पूर्वांचल के एम्स कहे जाने वाले सर सुंदर लाल अस्पताल में इलाज कार्य लगभग बाधित हो चुका है। बीएचयू सर सुंदरलाल अस्पताल में करीब 200 से अधिक जूनियर डॉक्टरों का हड़ताल जारी है।
अस्पताल प्रशासन के तमाम मान-मनौव्वल और धमकियों के बावजूद भी जूनियर डॉक्टर समझने को तैयार नहीं हो रहे हैं। डॉक्टर नीट-पीजी कांउंसिलिंग से कम कुछ भी मानने को तैयार नहीं हो रहे हैं। इधर बीएचयू ने जूनियर रेजिडेंट के इंटर्न के रूप में अस्थाई नियुक्ति का विज्ञापन भी निकाल दिया है। इंस्टीट्यूट आॅफ साइंस के डायरेक्टर प्रो. बीआर मित्तल और डीन ने जूनियर रेजीडेंट्स को जारी एडवाइजरी में कहा है कि एकेडमिक और इलाज कार्य न करने के लिए उनके ऊपर महामारी एक्ट की कार्रवाई हो सकती है। जिला प्रशासन को संस्तुति भेज दी गई है। ऐसे में उन्हें अपने हॉस्टल भी खाली करने होंगे। अब अस्पताल और विभाग में न आने से उन्हें अनुपस्थित किया जा रहा है।
जिस वजह से उनका वेतन भी नहीं दिया जाएगा। इसके अलावा जूनियर रेजिडेंट द्वारा की जा रही इस अवैध गतिविधि से राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को भी अवगत कराया जाएगा। इन सबके बावजूद डॉक्टर मानने को तैयार नहीं हुए हैं। सर सुंदरलाल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक प्रो. केके गुप्ता ने बताया कि जेआर के हड़ताल से चिकित्सीय कार्य प्रभावित हो रहा है। हालांकि फैकल्टी व एसआर अपना कार्य कर रहे हैं। बताया कि इमरजेंसी में हो भी मरीज आ रहे हैं उनका उपचार किया जा रहा है। वहीं ट्रामा सेंटर के आचार्य प्रभारी प्रो. सौरभ सिंह ने कहा कि जेआर के प्रति हमारी पूरी सहानुभूति हैं। इसलिए उन्हें शांति प्रिय तरीके से चिकत्सीय कार्य करते हुए अपनी मांग को रखने के लिए कहा गया है।
नर्स और सीनियर रेजिडेंट के भरोसे मरीज, ओपीडी प्रभावित
अस्पताल के सबसे संवेदनशील अंग इमरजेंसी में अभी भी जूनियर रेजिडेंट नहीं आ रहे हैं। यहां पर मौजूद कुछ विभागों के सीनियर रेजिडेंट और नर्सों पर आपातकाल इलाज की पूरी व्यवस्था है। इमरजेंसी में रोजाना 500 से अधिक मरीज आते हैं, जिनमें से 50 को वार्ड में भर्ती किया जाता है। वहीं अस्पताल की ओपीडी में कल तक 3898 मरीज रजिस्टर्ड हैं। इनमें से 50 मरीजों को भर्ती किया गया और 39 को डिस्चार्ज कर दिया गया।
जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल की वजह से जनरल ओपीडी और ओटी में सर्जरी का भी काम प्रभावित हो रहा है। डॉक्टरों की कमी से रोजाना कई मरीज लौटा दिए जा रहे हैं। उनकी देखभाल करने वाले हाथ की कमी हो गई है। मरीजों को बीएचयू से वापस दूसरे निजी अस्पतालों में इलाज के लिए जाना पड़ रहा है। इससे अस्पताल में इलाज की पूरी व्यवस्था चरमरा गई है। यहां पर पूर्वांचल के 17 जिलों, आधा बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और नेपाल तक से मरीज रोजाना अपने इलाज के लिए आते हैं। उनका उतनी दूर से आना यहां पर उनके लिए भारी पड़ रहा है।