काशी साहित्य कला उत्सव में मैथिली ठाकुर की कव्वाली सुन मुग्ध हुआ BHU, भजन और सूफी संगीत पर झूम उठे छात्र

काशी साहित्य कला उत्सव में मैथिली ठाकुर की कव्वाली सुन मुग्ध हुआ BHU, भजन और सूफी संगीत पर झूम उठे छात्र

वाराणसी (रणभेरी): काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के स्वतंत्रता भवन सभागार में काशी साहित्य कला उत्सव के पहले दिन संगीत और साहित्य के प्रसिद्ध सितारों का जमावड़ा लगा। शाम में लोक गायिका मैथिली ठाकुर की सुरमयी कव्वालियों पर पूरा बीएचयू परिसर में झूम उठा। तुम्हे दिल्लगी भूल जानी पड़ेगी, छाप तिलक सब छीनी, मेरे रश्के कमर, तूने पहली नजर, काली-काली जुल्फे के फंदे न डालो, हमे जिंदा रहने दोए हुस्न वालों, श्रीराम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में, आदि गाने गाकर पूरा कैंपस मुग्ध हो उठा। छाप तिलक गाने पर जब मैथिली ने अलाप लगाया तो BHU के हजारो-छात्रा स्वतंत्रता भवन सभागार की कुर्सियों को छा़ेड़कर नाचने गाने लगे।

वहीं, हमे जिंदा रहने दो की मुर्कियों ने छात्रों को दीवाना बना दिया। देर रात तक चले इस संगीतमयी फेस्ट को देखने के लिए लोगों में काफी उत्साह देखा गया। शानदार प्रस्तुतियों से सभी का दिल जीत लिया। लोगों ने तालियों की गड़गड़ाहट से उनका स्वागत किया। स्वतंत्रता भवन सभागार में युवा श्रोताओं के साथ संगीत प्रेमियों की भारी भीड़ दिखी। इस दौरान कई लोग कुर्सियों को छोड़कर नाचते भी नजर आए। भीड़ के अभिवादन के बाद मैथिली ने 'दमादम मस्त कंलदर' से आगाज किया। फिर एक के बाद कई नगमे सुनाए। 'डम-डम डमरू बजावे ला हमार जोगिया' पर श्रोताओं ने तालियों से जुगलबंदी की। देर रात कार्यक्रम समाप्ति के बाद लोग मैथिली ठाकुर की प्रशंसा करते नहीं थक रहे थे। इससे पहले दोपहर में व्योमेश शुक्ल के निर्देशन में राम की शक्तिपूजा का मंचन किया गया। कलाकारों ने भावपूर्ण प्रस्तुतियों से दर्शकों के बीच अमिट छाप छोड़ी।

कथक से लेकर भरतनाट्यम के साथ ही नृत्य की कई मुद्राओं की झलक देखने को मिली। युवा लेखक दिव्य प्रकाश दूबे ने अपनी कृतियां मसाला चाय, मुसाफिर कैफे, अक्तूबर जंक्शन पर चर्चा की। कवि सम्मेलन में रश्मि सबा, सपना मूलचंदानी, वसीम नादिर आदि ने काव्यपाठ कर सभी का ध्यान खींचा। वहीं, रितेश रजवाड़ा ने भी प्रस्तुति दी।