जल्द बंधन से मुक्त होंगे ‘बेड़ियों’ में जकड़े पवनपुत्र
वाराणसी (रणभेरी)। श्रीकाशी विश्वनाथ कॉरिडोर के पुतलीबाई मंदिर के खंभे की 'बेड़ियों' में तीन साल से जकड़े संकट मोचन की रिहाई तय हो गई है। वह जल्द ही बंधन मुक्त होंगे। बाबा विश्वनाथ के दरबार में गूंजी सिद्ध प्रतिमा की रिहाई सुन ली गई। अब उस प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की कवायद तेज हो गई है। पुतलीबाई मंदिर के बाहर हनुमान चबूतरा निर्माण का कार्य अंतिम चरण में है। मंदिर सूत्रों की माने तो, अक्षय तृतीया तक प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा हो सकती है। हनुमान जी को दक्षिण मुखी स्थापित किया जाएगा जो 40 इंच लंबे और 12 इंच चौड़े स्थल पर स्थापित होगी। मंदिर में प्रवेश करने से पहले ही संकट मोचन के दर्शन होंगे।
बेडियों में जकड़े महाबली हनुमान की तस्वीरें हुई थी वायरल
बता दें कि पिछले दिनों बेडियों में जकड़े महाबली हनुमान की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी। जिसके बाद श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन हरकत में आया और सीईओ विश्व भूषण मिश्र मंदिर में पहुंचे थे। उन्होंने हनुमान जी की प्रतिमा का पुन: प्राण प्रतिष्ठा कराकर स्थापित कराने का निर्देश दिया। इससे भक्तों में खुशी की लहर है। काशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद के डिप्टी कलेक्टर की ओर से जारी पत्र में शेष नारायण उपाध्याय की फर्म को 02 मई तक इस कार्य को पूरा करने की जिम्मेदारी दी है। कार्यदायी संस्था ने निर्धारित समय में कार्य को पूरा करने की बात कही है।
ऐतिहासिक प्रतिमा की स्थापना भूल गया था प्रशासन
श्रीकाशी विश्वनाथ कॉरिडोर में संकट मोचन हनुमान जी की प्रतिमा लगभग तीन साल से रस्सियों में बंधी है। प्रतिमा को पुतलीबाई मंदिर के खंभे से बांधकर मंदिर न्यास अपने काम में जुट गया और ऐतिहासिक प्रतिमा की स्थापना भूल गया। हनुमान जी की प्रतिमा को रस्सी से बांधने के बाद श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास पर फिर सवाल उठने लगे तो श्रीकाशी विश्वनाथ कॉरिडोर में मंदिर और प्रतिमाओं की व्यवस्थाओं को संचालित करने वाले न्यास से काशीवासी खफा भी नजर आए। सैकड़ों लोगों ने प्राचीन मूर्तियों की अनदेखी और अधिकारियों की मनमानी का आरोप लगाया। श्रीकाशी विश्वनाथ न्यास के सीईओ विश्व भूषण मिश्र ने प्रतिमा का पुन: प्राण प्रतिष्ठा कराकर स्थापित कराने की बात कही।
350 वर्ष पुरानी है महाबली की प्रतिमा
काशी विश्वनाथ से लेकर सारनाथ तक, संकट मोचन से लेकर पिशाच मोचन तक, गंगाघाटों से लेकर के राजघाट तक हनुमान जी के ऐतिहासिक मंदिर और प्रतिमाएं हैं। इन प्राचीन प्रतिमाओं में मूंगा वाले हनुमान जी की प्रतिमा लगभग 350 साल पुरानी है। धार्मिक विद्वानों की माने तो हनुमान जी की प्रतिमा मूंगे से निर्मित है। इसमें बजरंगबली के महाबली होने को दशार्या गया है। जिसमें उनके कंधों पर राम-लक्ष्मण विराजमान हैं। वहीं पैरों में पाताल भैरवी हैं, तो उनके पुत्र मकरध्वज हैं।