आखिर कैसे लग जाती है बीएचयू के सुरक्षा में सेंध !
सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता करने के लिए करोड़ों रुपए होते खर्च, बावजूद इसके असुरक्षित, महामना की बगिया !
वाराणसी (रणभेरी सं.)। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय देश के प्रमुख शिक्षण संस्थानों में से एक है। इसका नाम न केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर में प्रतिष्ठित है। विश्वविद्यालय परिसर में लगभग 18 सुरक्षा पोस्ट, गश्ती दल, सीसीटीवी कैमरे और अन्य सुरक्षा उपायों के बावजूद, छात्राओं से छेड़छाड़ की घटनाएं अब भी सामने आती हैं। इस स्थिति ने यह सवाल उठाया है कि आखिर इस प्रकार की घटनाओं के लिए जिम्मेदार कौन है? क्या यह व्यवस्था में कहीं कोई खामी है या सुरक्षा के नाम पर किए गए प्रयासों में कोई गंभीरता की कमी है ! बीएचयू का कैंपस कई बार महिलाओं के लिए असुरक्षित साबित हो चुका है, चाहे वह छात्राएं हों या परिसर में कार्यरत महिला कर्मचारी। छेड़खानी की घटनाओं के बावजूद प्रशासन का उदासीन रवैया भी सवालों के घेरे में है। यह घटना इस बात को भी उजागर करती है कि सुरक्षा व्यवस्था में कोई गहरी कमी है। बीएचयू में दो स्पॉट पर छात्राओं से छेड़खानी ने फिर से कैंपस के सुरक्षा तंत्र की पोल खोल दी है। सुरक्षा तंत्र के वेतन में 50 करोड़ रुपये तक खर्च करने वाले बीएचयू में अभी छात्राओं को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कई छात्रों का कहना है कि अब इस मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है। बीएचयू के चीफ प्रॉक्टर प्रो. शिव प्रकाश सिंह की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, कैंपस में प्रॉक्टोरियल बोर्ड के कुल 18 पोस्ट हैं। कैंपस के सभी छोटे-बड़े छह गेट, दो गली, साइबर लाइब्रेरी, मंदिर, सेंट्रल आॅफिस, वीसी लॉज, एग्रीकल्चर फॉर्म पर सुरक्षा के जवान तैनात रहते हैं। चार चौराहों में एलडी गेस्ट हाउस, छात्र परिषद, महिला महाविद्यालय और न्यू विश्वनाथ मंदिर, वहीं एग्रीकल्चर फॉर्म में दो पोस्ट एक बीएचयू हेलीपैड और हैदराबाद कॉलोनी की ओर है।
सुरक्षा के बावजूद घटनाएं
बीएचयू कैंपस में सुरक्षा को लेकर अनेक प्रयास किए गए हैं। यहां 18 सुरक्षा पोस्ट हैं, जो हर गेट और विभिन्न महत्वपूर्ण स्थानों पर तैनात हैं। इसके अतिरिक्त, कैंपस में सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं, ताकि किसी भी असामान्य गतिविधि पर तुरंत प्रतिक्रिया दी जा सके। लेकिन इसके बावजूद, ऐसी घटनाएं बार-बार घटित होती हैं। सुरक्षा के इतने उपाय होने के बावजूद छेड़खानी जैसी घटनाओं का होना यह बताता है कि या तो सुरक्षा व्यवस्था सही तरीके से काम नहीं कर रही है या फिर इन उपायों की निगरानी में कोई चूक हो रही है। जब 18 सुरक्षा पोस्ट, गश्त और सीसीटीवी कैमरे जैसे संसाधन होते हुए भी ऐसी घटनाएं सामने आती हैं, तो सवाल उठता है कि क्या इन प्रयासों का सही उपयोग हो रहा है या फिर यह केवल एक दिखावा है। बीएचयू जैसी प्रतिष्ठित संस्था में, जहां पढ़ाई और शोध की बात की जाती है, वहां महिलाओं को असुरक्षित महसूस करना दशार्ता है कि शिक्षा केवल अकादमिक ज्ञान तक सीमित नहीं हो सकती, बल्कि एक सकारात्मक सामाजिक बदलाव की आवश्यकता है। छात्रों और कर्मचारियों की मानसिकता में बदलाव लाने के लिए संस्थान को गंभीर कदम उठाने होंगे। ऐसी घटनाओं के बाद, प्रशासन का सबसे पहला काम होता है स्थिति का गंभीरता से विश्लेषण करना और यह सुनिश्चित करना कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। साथ ही, छात्रों को विश्वास दिलाना चाहिए कि उनके सुरक्षा के लिए कोई समझौता नहीं किया जाएगा। केवल ऐसी कड़ी कार्रवाई ही नहीं, बल्कि एक ऐसे तंत्र का निर्माण किया जाना चाहिए, जो छात्रों को अपनी परेशानियों को बिना डर के सामने लाने का एक सुरक्षित स्थान प्रदान करे।
बीएचयू में छात्राओं से छेड़छाड़ की घटनाएं न केवल सुरक्षा व्यवस्था की खामियों को उजागर करती हैं, बल्कि समाज की मानसिकता और विश्वविद्यालय प्रशासन की जिम्मेदारियों पर भी सवाल उठाती हैं। यह घटना इस बात का संकेत है कि केवल भौतिक सुरक्षा उपायों से किसी भी संस्था को सुरक्षित नहीं बनाया जा सकता। इसके लिए एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें सुरक्षा, शिक्षा और समाज की मानसिकता के सुधार की प्रक्रिया शामिल हो। अगर विश्वविद्यालय में सुरक्षा को लेकर ठोस और गंभीर कदम नहीं उठाए जाते, तो यह घटनाएं भविष्य में और बढ़ सकती हैं।