गृह मंत्रालय के रडार पर शहर की 125 शत्रु संपत्तियां, खंगाली जा रही कुंडली, अगस्त में होगी बैठक
वाराणसी (रणभेरी सं.)। गृह मंत्रालय के रडार पर शहर की 125 शत्रु संपत्तियों हैं। इनकी कुंडली खंगाली जा रही है। इनमें रहने वालों का पाकिस्तानी कनेक्शन ढूंढा जा रहा है। इस काम में न केवल सरकारी विभाग बल्कि खुफिया विभाग भी लगा हुआ है।
शत्रु संपत्तियों में रहने वालों का पंजीकरण कराया गया है। इन सभी से आपत्तियां ली गईं हैं। इसके आधार पर अगस्त माह में जिला प्रशासन की बैठक होगी। इसमें गृह मंत्रालय के निर्देश का पालन कराया जाएगा।
एडीएम वित्त एवं राजस्व वंदिता श्रीवास्तव ने बताया कि शत्रु संपत्तियों में रहने वालों से आपत्ति ली जा रही है। उनके साथ अगस्त में बैठक होगी। इसमें सभी पक्षों को सुनने के बाद रिपोर्ट बनाकर शासन को भेजी जाएगी। वर्तमान में जो भी कार्रवाई चल रही है। वह शासन के निर्देश पर है। शत्रु संपत्तियों पर अंतिम निर्णय गृह मंत्रालय का मान्य होगा।
सहायक नगर आयुक्त (राजस्व) अनिल यादव ने बताया गया कि नगर में कुल 125 भवन शत्रु संपत्ति हैं। कलेक्ट्रेट में पंजीकरण के लिए इन्हें जोनल अधिकारियों के माध्यम से सूचित किया जा चुका है। नगर निगम को इन भवनों से गृहकर लेना है। इस नाते इसका भौतिक सत्यापन कराके रिपोर्ट प्रशासन को भेजी गई है। प्रशासन को ही इस मामले में निर्णय लेना है।
शत्रु संपत्तियों को बेचने की तैयारी में गृह मंत्रालय
जानकारों के अनुसार गृह मंत्रालय देशभर में 12611 हजार शत्रु संपत्तियों को बेचने की तैयारी कर रहा है। नियम के अनुसार किसी भी शत्रु संपत्ति को बेचने से पहले डीएम या कमिश्नर की मदद से बेदखली की प्रक्रिया होगी। इसके बाद उसे नीलामी के जरिये बेचा जा सकेगा। इस पर अंतिम निर्णय गृह मंत्रालय का होगा।
शत्रु संपत्ति में कोई किरायेदार तो कोई कब्जेदार
शत्रु संपत्तियों में रहने वाले कोई किरायेदार तो कोई कब्जेदार है। इनमें रहने वालों के अनुसार ये उनके पूर्वजों की संपत्ति है। इस बारे में अपना पक्ष प्रशासन को दिया गया है। जैसा शासन और प्रशासन का निर्णय होगा। उसके अनुसार ही आगे का कार्य किया जाएगा।
क्या है शत्रु संपत्ति
आजादी के बाद जो लोग भारत से पाकिस्तान जाकर बस गए उनकी संपत्तियों को भारत सरकार ने शत्रु संपत्ति घोषित किया है। इस संबंध में आदेश 10 सितंबर 1959 में जारी किया गया था। देश भर में ऐसी सभी 12611 संपत्तियां शत्रु संपत्ति हैं। कस्टोडियन के माध्यम से देश के कई राज्यों में फैली शत्रु संपत्तियां केंद्र सरकार के कब्जे में हैं। इसके अलावा 1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्धों के मद्देनजर, भारत से लोगों का पाकिस्तान में प्रवास हुआ था। भारत की रक्षा अधिनियम, 1962 के तहत बनाए गए नियमों के तहत, सरकार ने पाकिस्तानी राष्ट्रीयता लेने वालों की संपत्तियों और कंपनियों को अपने कब्जे में ले लिया था।
लोकसभा में बताया गया था कि पाकिस्तानी नागरिकों की ओर से कुल 12485 संपत्ति और चीनी नागरिकों की ओर से 126 संपत्तियों को छोड़ दिया गया था जिसका कुल मूल्य लगभग 1 लाख करोड़ रुपये है।