हकीकत को आईना दिखाती वाराणसी की सेकेंड लाइफ लाइन

वाराणसी (रणभेरी सं.)। गंगा किनारे बसी काशी का एक अधिकृत नाम वाराणसी है जो दो सहायक नदियों वरुणा और अस्सी को मिलकर बना है, वरुणा नदी उपेक्षा का शिकार हो चुकी है। आलम यह है कि अभी भीषण गर्मी पड़नी शुरू भी नहीं हुई और वरुणा ने घाट छोड़ दिया है। वरुणा में पानी का जलस्तर दो फीट से अधिक घट गया है। वरुणा में जलस्तर कम होने से घाट किनारे जमा सिल्ट से दुर्गंध उठ रही है जिसके चलते घाट किनारे रहने वाले और पुल से गुजरने वाले वालों को परेशानी हो रही। हवा के साथ दुर्गंध ने वरुणा पुल के आसपास जीना दूभर कर दिया है। काशी की प्रथम लाइफ लाइन गंगा को कहा जाता है तो सेकेंड वरुणा और अस्सी को। आज सेकेंड लाइफ लाइन वरुणा नदी अपनी दुर्दशा पर आज रो रही है। उपेक्षा की शिकार वरुणा नदी कूड़ा डंपिंग स्टेशन बन गया है।
वरुणा कभी जीवनदायिनी हुआ करती थी, प्रयागराज से लेकर वाराणसी तक दोनों छोर पर किसान सब्जियां उगाते, आज वरुणा की बदतर स्थिति के चलते इसका जल आचमन योग्य तो दूर छूने लायक नहीं रह गई। पानी का रंग कहीं काला तो कहीं मटमैला है। वरुणा किनारे उगने वाली सब्जियां भी खाने योग्य नहीं रह गई है। प्रयागराज के मैलहन झील से निकली वरुणा वाराणसी में आदिकेशव घाट से लेकर रामेश्वर तक वरुणा नदी गंदे नाले में तब्दील हो चुकी है। बड़़े -बड़े सीवर और खुले ड्रेनेज से मलजल सीधे वरुणा में गिर रहे हैं। नदी किनारे खुली फैक्ट्रियों के केमिकल के साथ ही होटलों का गंदा कूड़ा-करकट वरुणा में डाले जा रहे। सफाई नहीं होने के कारण इन मलबों से अब दुर्गंध उठ रही है
जलकुंभी को लेकर सदन में उठा था मुद्दा
वरुणा नदी में जगह जगह जलकुंभी इकट्ठा हो गई है जिसके चलते नदी में दुर्गन्ध उठ रही। चौकाघाट के समीप इकट्ठी जलकुंभी को हटाने के लिए पार्षदों ने सदन में भी आवाज उठाई थी। बीते दिनों मेयर ने ड्रोन के जरिए एंटी लार्वा अभियान की शुरूआत भी शास्त्री घाट वरुणा नदी से की थी। महाकुम्भ से पहले शहर में आए वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री अरुण सक्सेना ने वरूणा की दुर्दशा के बाबत सवाल पर जवाब देते हुए दावा किया था कि महाकुंभ से पहले गंगा और सभी सहायक नदियों का जल स्वच्छ और इस्तेमाल करने के योग्य होगा। राज्यमंत्री के दावे की हकीकत आज वरुणा की वर्तमान स्थिति बता रही है।
राजनीति की शिकार वरुणा
201 करोड़ से तैयार वरुणा कॉरिडोर सपा-भाजपा की राजनीति का शिकार बनकर रह गई है जिसका खामियाजा काशी को भुगतना पड़ रहा है। दरअसल, सपा प्रमुख और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने गोमती रिवर फ्रंट की तर्ज पर वाराणसी में लगभग 11 किलोमीटर वरुणा कॉरिडोर बनाने की पहल शुरू की। वर्ष 2016 में 201 करोड़ की लागत से 10 किलोमीटर तक नदी के दोनों छोर पर रेलिंग बनाने के साथ ही पाथवे का निर्माण हुआ।
इस बीच गोमती रिवर फ्रंट घोटाला जगजाहिर होने के बाद वरुणा के उद्धार की गति धीमी पड़ गई। समाजवादी पार्टी भी आरोप लगाती है कि वरुणा का विकास योगी सरकार ने सिर्फ इसलिए बंद कर दिया क्योंकि ये अखिलेश यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल था। हालांकि योगी सरकार के कार्यकाल में ही डेनमार्क से टीम आई थी वरुणा को कचरा मुक्त करने के लिए लेकिन उन्होंने भी बाद में प्रोजेक्ट से अपने हाथ खींच लिए।