सड़को पर बहता सीवर का पानी, बयां कर रहा स्मार्ट सिटी की कहानी

सड़को पर बहता सीवर का पानी, बयां कर रहा स्मार्ट सिटी की कहानी
  • वार्ड संख्या 23 जोल्हा के जीवधिपुरा हनुमान मंदिर के पास सड़क पर बह रहा सीवर का पानी
  • सीवर के गंदे पानी से होकर जाने को मजबूर स्थानीय लोग व स्कूली बच्चे, सता रहा बीमारियों का डर

वाराणसी (रणभेरी): वाराणसी नगर निगम शहर को साफ-सुथरा रखने का दावा करता है। इसके लिए हर साल करोड़ों रूपए खर्च भी किए जाते हैं। धरातल पर हकीकत कुछ और है। वाराणसी नगर निगम के वार्ड संख्या 23 जोल्हा के जीवधिपुरा, हनुमान मंदिर के पास की सड़कों की स्थिति स्मार्ट सिटी को मुहं चिढ़ा रही है। यहां की सड़कों पर सीवर का पानी बहता है। आम लोगों के साथ साथ स्कूली बच्चे भी इसी सीवर के गंदे पानी से होकर जाने को मजबूर है। इतना ही नहीं बरसात में गंदे सीवर के पानी से लोगों को बीमारियों का डर सता रहा है लेकिन जिम्मेदार बेफिक्र है। सीवर लीकेज होने के कारण कॉलोनी में गंदे पानी का जलभराव हो रहा है। इसको लेकर स्थानीय लोगों ने सभासद और नगर निगम के अधिकारियों को कई बार शिकायत की, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है। बता दें कि एक तरफ नगर निगम द्वारा साफ-सफाई को लेकर तमाम दावे किए जा रहे हैं तो वहीं नगर निगम की लापरवाही के चलते सीवर चोक होने के कारण सीवर से पानी अब सड़कों पर बहने लगा है। यह हाल प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी का है जहां स्मार्ट सिटी के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे।

यहां नगर निगम की लापरवाही के चलते सीवर चोक होने के कारण सड़कों पर जलभराव होने लगा है, जिससे कॉलोनी के निकलने वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इसको लेकर कॉलोनी के लोगों ने कई बार जिम्मेदार नगर निगम और क्षेत्र के सभासद से शिकायत भी की, इसके बावजूद भी समस्याएं जस की तस बनी हुई है। नगर निगम स्मार्ट सिटी के नाम को धूमिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। वाराणसी में जितने वार्ड है उसमें विरले ही ऐसे वार्ड होंगे जहां की स्थिति सामान्य हो। अधिकतर वार्डों में सीवर, नाला, जल जमाव और कूड़ा कचरा के न उठने से स्थिति नारकीय है। सूत्रों के अनुसार वाराणसी परिक्षेत्र में विकास कार्यों के नाम पर आए हुए धन के अधिकांश हिस्सों का बंदरबांट ही होता है। बारिश के दिन में सीवर का जाम हो जाना, सड़कों पर घुटनों तक पानी भर जाना आम बात है। चाहे जोल्हा का जीवधीपुर हो, चाहे चौकाघाट, चाहे बड़ी गैबी का कुंड हो या कोई घाट विशेष। हर ओर जनता बुनियादी समस्या से जूझ रही है। लेकिन फिर भी न जनता में कोई इसपर बोलने वाला है ना ही जनप्रतिनिधि।