काव्य-रचना

काव्य-रचना

   वैज्ञानिक परंपरा   

मन में दृढ़ संकल्प लिया,
लक्ष्य अवश्य हीं पाना है।

लाख बाधा बेड़ी बन जाए,
तोड़ आगे बढ़ जाना है।
कुछ दिन और धीरज संभालो, 
निजचरण सफलता आना है।।

मन में दृढ़ संकल्प लिया,
लक्ष्य अवश्य हीं पाना है।२

ना मैं टूटा ना छुटी परीक्षा,
जिन्दा हूं मैं जीवित है इच्छा।
कर रहा स्वयं का स्वयं समीक्षा,
है जगी भूभुक्षा खाना है।।

मन में दृढ़ संकल्प लिया,
लक्ष्य अवश्य हीं पाना है।

कितने कारे बादल आजाएं,
छाए विघ्न के घोर घटाएं।
निशा दिशा चाहे भटकाएं,
मुझे नहीं घबराना है।।

मन में दृढ़ संकल्प लिया,
लक्ष्य अवश्य हीं पाना है।

आठों प्रहरें श्रम सजग रहूंगा,
स्व हालात ना कहीं कहूंगा।
कुछ काल और हर दर्द सहे,
उतुंग शिखर चढ़ जाना है।।

मन में दृढ़ संकल्प लिया,
लक्ष्य अवश्य हीं पाना है।

क्रांतिकारी गोविन्द