गणेश चतुर्थी पर मंदिरों में विघ्नहर्ता के दर्शन को लगी भक्तों की कतार, संतान की दीर्घायु के लिए माताओं ने रखा व्रत

वाराणसी (रणभेरी): शिव की नगरी काशी में गणेश चतुर्थी पर सुबह से ही गणेश मंदिरों में दर्शन-पूजन के लिए श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ा है। लोहटिया स्थित बड़ा गणेश मंदिर ,सिद्धिविनायक मंदिर, चिंतामणि गणेश में भोर से दर्शन पूजन के लिए पहुंच रहे हैं। लोहटिया के बड़ा गणेश मंदिर में दर्शन को भक्तों की लंबी लाइन दिखी। श्रद्धालु भगवान गणेश को उनका प्रिय मोदक और तिल के लड्डू अर्पित चढ़ाकर उनके दर्शन को घंटों इंतजार में लगे रहे।
बड़ा गणेश मंदिर के पंडित रामानाथ दूबे ने बताया कि भोर में भगवान गणेश का भव्य श्रृंगार कर उनकी पूजा और आरती के बाद श्रद्धालुओं के दर्शन-पूजन के लिए कपाट खोला गया। गणेश चतुर्थी के पर्व का बड़ा महत्व है। इस दिन व्रत रहने और भगवान गणेश की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। उन्होंने बताया कि महिलाएं पुत्र प्राप्ति के साथ ही धन और वैभव के लिए आज के दिन निर्जल व्रत रखती हैं। सच्चे मन से पूजा करने पर भक्तों की मनोकामनाएं भगवान गणेश पूरी करते हैं।
शहर के अन्य प्रमुख गणेश मंदिरों में भी बप्पा के दर्शन-पूजन का सिलसिला देर रात तक चलता रहेगा। वहीं, श्रद्धालुओं की सुरक्षा के मद्देनजर वाराणसी कमिश्नरेट की पुलिस सभी प्रमुख गणेश मंदिरों के आस पास चौकन्नी दिखी।
माघ के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि से इस व्रत की शुरुआत की जाती है। ज्योतिषाचार्य पं. विकास शास्त्री ने बताया कि इस वर्ष विशेष योग में जो माताएं व्रत की शुरुआत करेंगी उनके लिए यह और भी उत्तम होगा। यह व्रत महिला, पुरुष अथवा विद्यार्थी सभी के लिए समान रूप से फलदायी माना गया है। विशेष कृपा प्राप्ति के लिए संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी का व्रत नियमित रूप से चार अथवा चौदह वर्ष तक करना चाहिए। उन्होंने प्रत्येक माह के कृष्णपक्ष की चंद्रोदयव्यापिनी चतुर्थी तिथि पर संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत रखने की मान्यता है। माघ कृष्णपक्ष की चतुर्थी को वक्रतुण्ड चौथ, माघी चौथ, संकष्टी तिल चतुर्थी, तिल चौथ, तिलकुटा चौथ एवं गौरी चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है।