पुत्र दीर्घायु के लिए माताओं ने रखा निर्जला व्रत
- संकष्टी गणेश चतुर्थी पर काशी के विनायक मंदिरों में भक्तों की उमड़ी भीड़
- शाम में उगते चन्द्र को अर्घ्य देख व्रती करेंगी व्रत का समापन
वाराणसी (रणभेरी): माघ माह के कृष्ण पक्ष की संकष्टी गणेश चतुर्थी पर मंगलवार को माताओं ने अपने पुत्रों के लंबी उम्र की कामना के साथ निर्जला व्रत रखा। पूरे दिन अन्न, जल का त्याग कर माताओं ने रात में चंद्रमा के उदय होने पर अर्घ्य देंगी और विधि विधान से प्रथम पुज्य श्रीणेश एवं माता गौरी का पूजन करके व्रत का पारण करेंगी। इससे पूर्व सुबह से काशी के गणेश मंदिरों में भक्तों की लंबी कतार रही। माताओं ने भगवान प्रथमेश का दर्शन-पूजन करके सुख-समृद्धि की कामना की।
बड़ा गणेश मंदिर में आस्था की कतार
संकष्टी गणेश चतुर्थी पर लोहटिया स्थित बड़ा गणेश मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। बप्पा के दरबार में जय गणेश के जयकारे के साथ हर-हर महादेव का जयघोष भी गूंजता रहा। पुजारी राजेश तिवारी ने बताया कि माघ माह में पड़ने वाला यह व्रत महिलाएं पुत्र की दीर्घायु और सौभाग्य के लिए रखती है। ब्रह्म मुहूर्त में बाबा को पंचामृत से स्नान कराकर नूतन वस्त्र पहनाए गए। और आरती के पश्चात श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के कपाट खोल दिए गए तथा अपराह्न में बाबा का विशेष श्रृंगार कर आरती की गई। जिसके बाद श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही।
अर्ध रात्रि में बाबा का विशेष पूजन कर महाआरती की जायेगी। दूसरी तरफ, दुर्गाकुण्ड स्थित काशी खंडोक्त श्रीदुर्ग विनायक गणेश का वार्षिक श्रृंगार महोत्सव मनाया गया। गणेश जी का भव्य श्रृंगार कर दिव्य झांकी भी सजाई गई थी। दिनभर मंदिर में विविध धार्मिक आयोजन भी चलते रहें। प्रातःकाल पांच बजे श्रृंगार के साथ मंदिर का पट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया। उसके बाद नौ बजे से 11 ब्राह्मणों द्वारा गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ किया गया तथा दूर्वा से गणेश सहस्त्रार्चन किया गया। अपराह्न एक बजे विविध प्रकार के फलों एवं मोदक का भोग लगाया गया।
शाम में अर्घ्य देंगी माताएं
पंडित राकेश शास्त्री ने बताया कि, चंद्रोदय का समय रात 8 बजकर 41 मिनट पर है। चंद्रोदय से पूर्व गणेश मूर्ति या सुपाड़ी के द्वारा निर्मित सांकेतिक गणेश देवता को चौकी पर स्थापित करें। इसके बाद षोडशोपचार विधि से पूजन संपन्न करें। मोदक और गुड़ में बने हुए तिल के लड्डू का भोग अर्पित करें। आचमन कराकर प्रदक्षिणा और नमस्कार करके पुष्पांजलि अर्पित करें। चंद्रोदय होने पर चंद्रमा को विशेषार्घ्य प्रदान करें। स्त्रियों को कुंद पुष्प, कुंकुम, लाल सूत, लाल फूल, महावर, धूप, अदरक, दूध, खीर इत्यादि से गौरी की उपासना करनी चाहिए। गणेश जी के अर्घ्य में जल, पुष्प, सुपाड़ी, अक्षत, फल, चंदन और दक्षिणा का प्रयोग करना चाहिए। इससे भगवान गणेश प्रसन्न होकर अभीष्ट फल प्रदान करते हैं।