कारगिल दिवस: रक्षाबंधन था 3 दिन बाद, भाई के लिए खरीदी थी राखी- आ गई गौतम गुरुंग के शहादत की खबर

कारगिल दिवस: रक्षाबंधन था 3 दिन बाद, भाई के लिए खरीदी थी राखी- आ गई गौतम गुरुंग के शहादत की खबर

गोरखपुर। 26 जुलाई को पूरा देश कारगिल के शहीदों की शान और उनके शहादत को याद करेगा। 1998 में करगिल युद्ध के दौरान गोरखपुर के लाल गौतम गुरुंग ने भी अपनी शहातद दी थी। युद्ध में उनकी बहादुरी और अदम्य- शौर्य व साहस को देखते हुए राष्ट्रपति ने मरणोपरांत उन्हें सेना मेडल से नवाजा था। उनकी बहन आज भी उनके लिए खरीदी राखी संजो कर रखी हैं। जिस दिन राखी खरीदी थी, अगले दिन शहादत की खबर आ गई।

26 जुलाई को पूरा देश कारगिल के शहीदों की शान और उनके शहादत को याद करेगा। 1998 में कारगिल युद्ध के दौरान गोरखपुर के लाल गौतम गुरुंग ने भी अपनी शहातद दी थी। युद्ध में उनकी बहादुरी और अदम्य- शौर्य व साहस को देखते हुए राष्ट्रपति ने मरणोपरांत उन्हें सेना मेडल से नवाजा था।

उनकी बहन आज भी उनके लिए खरीदी राखी संजो कर रखी हैं। जिस दिन राखी खरीदी थी, अगले दिन शहादत की खबर आ गई। आज भी परिजन उन्हें याद कर भावुक हो जाते हैं। लेकिन, उन्हें गर्व रहता है कि उनके बेटे ने देश के लिए लड़ते-लड़ते अपनी जान न्योछावर कर दी थी।

ये वक्त 4 अगस्त 1988 का था, जब करगिर युद्ध पर अपने चरम पर था। इसी दौरान युद्ध के बीच में ही गौतम गुरुंग को सूचना मिली कि उनके सात से आठ साथी एक बंकर में फंसे हैं और पाकिस्तान की तरफ से लगातार फायरिंग और लांचर से हमले हो रहे हैं।

साथियों को बचाने के लिए सीधे बंकर में चले गए और साथियों को बाहर निकालने का प्रयास कर रहे थे कि अचानक रॉकेट लांचर सीधे बंकर पर आ गिरा। कमर पर गंभीर रुप से चोट लगने के बाद भी उन्होंने अपने सभी आठ साथियों को सकुशल बंकर से बाहर निकाल कर सुरक्षित कर दिया।

गंभीर रुप से घायल गौतम अगले दिन, 5 अगस्त(1998) को शहीद हो गए। पिता ने भी अपने बेटे के देश सेवा और जज्बे का सम्मान आगे बढ़ाते हुए शहादत के बाद सरकार की तरफ से मिली आर्थिक सहायता से कईयों की जिंदगी संवारने का जरिया बना दिया।

बहन आज भी संभाल कर रखी हैं राखी

छोटी बहन मिनाक्षी आज भी अपने भाई का राखी को संजो कर रखा है। 4 अगस्त 1998 को ही मिनाक्षी ने अपने भाई को भेजने के लिए राखी खरीदी थी। उस वर्ष 7 अगस्त को रक्षाबंधन का त्योहार था। राखी खरीदने के लिए अगले दिन 5 तारीख को ही भाई के शहादत की खबर आ गई। मिनाक्षी राखी भेज भी नहीं पाई थी। सभी से उन्होंने राखी को सहेज कर आज भी अपने पास रखा है।