राम से पहले रावण को महंगाई ने मारा

बरेका में रावण, कुम्भकर्ण, मेघनाद का पुतला दहन 2 को
सिर्फ परम्परा निभाने की हो रही कवायद
राधेश्याम कमल
वाराणसी (रणभेरी): त्रैलोक्य विजयी रावण का वध करने के लिए श्रीराम को अवतार लेना पड़ा। लेकिन अब हालात यह है कि विजयादशमी पर होने वाले रावण- कुम्भकर्ण व मेघनाद के पुतले महंगाई की मार झेल रहे हैं। शायद श्रीराम से पहले रावण को महंगाई ने मार दिया है। उनके पुतलों का कद हालांकि छोटे नहीं हुए हैं लेकिन पुतलों के निर्माण में इस्तेमाल होने वाली सामग्री का दाम कई गुना बढ़ चुके हैं। पुतलों को तैयार करने वाले कारीगरों के समक्ष संकट उत्पन्न हो गया है। कारीगर काफी असमंजस में हैं कि वह इन पुतलों को कैसे तैयार करें। लेकिन महंगाई कितनी भी क्यों न हो पुतलों को किसी भी हालत में तैयार तो करना ही है। यह बात अलग है कि महंगाई की मार रावण-कुम्भकर्ण- मेघनाद झेल रहे हैं। बरेका (डीरेका) में इस साल भी विजयादशमी पर रावण- कुम्भकर्ण व मेघनाद के पुतलों का दहन 2 अक्टूबर को सायंकाल किया जायेगा। रावण की ऊचाई 70 फुट, कुम्भकर्ण की ऊंचाई 65 फुट व मेघनाद की ऊंचाई 60 फुट की है। बरेका में विजया दशमी पर रावण- कुम्भकर्ण, मेघनाद के पुतलों का निर्माण पिछले कई सालों से मडुंवाडीह निवासी शमशाद खां करते चले आ रहे हैं। पुतलों का निर्माण में यह उनकी तीसरी पीढ़ी है। इसमें सबसे पहले बाबू खां रहे। इसके बाद शमशाद खां एवं अब तीसरी पीढ़ी में आर्यन खां हैं।
मुस्लिम परिवार करता है पुतलों का निर्माण
रावण-कुम्भकर्ण व मेघनाद के पुतलों का निर्माण मुस्लिम परिवार पिछले कई सालों से करता चला आ रहा है। आर्यन खां के भाई असलम, शाहिद भी पुतलों के निर्माण में लगे हुए है। उनकी पत्नी रेहाना बानू भी इसमें लगी हुई हैं। बाबू भाई के रिश्तेदार सन्नो पुतलों पर पेपर चस्पा करती है। बाबू खां के रिश्तेदार शेरू खां कई सालों से पुतलों का निर्माण कर रहे हैं। पुतलों का निर्माण करने वाले शमशाद खां काफी मायूस हैं कि अब तो हम सिर्फ परम्परा का निर्वाह कर रहे हैं। पुतलों में लगने वाली सामग्री के हर साल बढ़ते दाम ने उनके चेहरे पर चिंता की लकीरें खींच दी है। शमशाद खा्ं बताते हैं कि महंगाई तो हर चीजों पर बढ़ी है। पहले आटा 15 से 20 रुपये किलो मिलता था। अब आटा 30 से 35 रुपये किलो मिल रहा है। इसी तरह पुतलों को बांधने में लगने वाली सुतली पहले 50 से 80 रुपये क्विंटल थी जो अब 150 रुपये क्विंटल है।
तांत (तार) पहले 80 से 100 -200 तक था अब 350 रुपये किलो है। मैदा पहले 20 से 30 रुपये किलो था अब 50 रुपये किलो है। रंगीन कागज पहले 40 से 50 रुपये जिस्ता था जो अब 120 रुपये जिस्ता हो गया है। पुतलों में 80 जिस्ता रंगीन कागज लगता है। पुतलों में साड़ियां पहले 25 से 30 रुपये की थी जो अब 50 रुपये की हो गई है। पुतलों में करीब 300 साड़ियां लगती है। कलर पहले दो हजार का था अब वह कई गुना बढ़ गया है। पुतला दहन में 80 हजार रुपये की आतिशबाजी लगेगी। बरेका के अलावा शमशाद खां लहरतारा, फुलवरिया, भोजूबीर, मलदहिया, रानीपुर के •ाी पुतलों का निर्माण कर रहे हैं।