चंद्रग्रहण पर काशी के घाटों पर उमड़ा जनसैलाब, आस्था की डुबकी और दान-पुण्य में लीन रहे श्रद्धालु

स्पर्श, मध्य और मोक्ष काल में लगी श्रद्धालुओं की भीड़, बढ़े जलस्तर और तेज बहाव से रही परेशानी, प्रशासन सतर्क
सूतक में मंदिरों के कपाट बंद, घरों में तुलसी-कुश से साधना, 34 साल में सिर्फ पांचवीं बार दिन में हुई गंगा आरती
वाराणसी (रणभेरी): चंद्रग्रहण के मौके पर काशी समेत आसपास के जिलों से हजारों श्रद्धालु सोमवार की रात गंगा स्नान के लिए घाटों पर पहुंचे। ग्रहण के स्पर्श, मध्य और मोक्ष तीनों कालों में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। गंगा के बढ़े जलस्तर और तेज बहाव के कारण लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, वहीं प्रशासन ने सुरक्षा की दृष्टि से श्रद्धालुओं को ज्यादा देर तक जल में रुकने की अनुमति नहीं दी।
सूतक काल में प्रभु आराधना
ग्रहण काल के दौरान परंपरा का पालन करते हुए लोगों ने घरों में भोजन पहले ही कर लिया और खाद्य पदार्थों की पवित्रता बनाए रखने के लिए रसोई में तुलसी व कुश पत्ते रखे। भक्तों ने मंदिरों के कपाट बंद कर दिए और जप, ध्यान व भजन-कीर्तन में लीन हो गए।
घाटों पर रही भारी भीड़
रात 09:57 बजे ग्रहण स्पर्श होते ही श्रद्धालुओं की भीड़ दशाश्वमेध, अस्सी और भैसासुर घाट पर उमड़ पड़ी। 11:41 बजे मध्यकाल और 01:27 बजे मोक्ष काल में भी डुबकी लगाने वालों का सिलसिला जारी रहा। इस दौरान दान-पुण्य का भी विशेष महत्व रहा। बड़ी संख्या में लोग गरीबों और भिखारियों को अन्न, वस्त्र और दक्षिणा दान करते नजर आए।
मंदिरों के कपाट बंद
सूतक लगने से पूर्व ही संकटमोचन, दुर्गाकुंड, कालभैरव, बड़ा गणेश और बीएचयू विश्वनाथ मंदिर जैसे प्रमुख देवालय बंद कर दिए गए। परंपरा के अनुसार केवल काशी विश्वनाथ और अन्नपूर्णा मंदिर खुले रहे। हालांकि यहां भी ग्रहण काल से दो घंटे पहले कपाट बंद कर दिए गए और सूतक में आरती व भोग अर्पित हुआ।
34 साल में पांचवीं बार दिन में गंगा आरती
चंद्रग्रहण के कारण इस बार गंगा आरती का दृश्य भी विशेष रहा। दशाश्वमेध घाट पर गंगा सेवा निधि और गंगोत्री सेवा समिति की ओर से विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती दिन में कराई गई। पूर्वाह्न 11:45 बजे शुरू हुई यह आरती समय रहते संपन्न कर ली गई। पिछले 35 वर्षों में यह केवल पांचवां अवसर रहा जब दिन में गंगा आरती हुई।