एफआईआर के लिए कोर्ट को नहीं, एसपी या मजिस्ट्रेट को दें प्रार्थना पत्र
प्रयागराज । मथुरा में फर्जी मुठभेड़ के मामले में आरोपी पुलिसकर्मियों पर एफआईआर करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति ने कहा कि पुलिस पर एफआईआर के लिए पुलिस अधीक्षक या मजिस्ट्रेट को प्रार्थना पत्र देना चाहिए। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि पुलिस मुठभेड़ में हत्या के आरोप मामले में आरोपी पुलिस पर एफआईआर के लिए अदालत का दरवाजा न खटखटाकर पहले एसपी या मजिस्ट्रेट को प्रार्थना पत्र दें। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ व न्यायमूर्ति सुरेंद्र सिंह प्रथम की पीठ ने मथुरा की मुन्नी की ओर से पुलिस मुठभेड़ में बेटे की मौत को फर्जी बताते हुए दोषी पुलिस अफसरों पर एफआईआर दायर करने के मामले में अदालत से गुहार पर कहा, आरोपी पुलिस अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज कराने के लिए एसपी या मजिस्ट्रेट के यहां प्रार्थना पत्र देना चाहिए। इसके लिए याचिका दायर करना ठीक नहीं है। मामले में मथुरा की मुन्नी के बेटे फारुख की पुलिस ने एक मुठभेड़ में हत्या कर दी। मुन्नी ने इसे फर्जी बताते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सीबीआई तथा राज्य सरकार की मान्यता प्राप्त संस्था से जांच कराने की मांग की थी।याची की ओर से पक्ष रखते हुए अधिवक्ता अमित खन्ना व जेके खन्ना ने कहा, याची के बेटे को डकैती और हत्या के झूठे मामले में फंसाया गया था। पुलिस ने उसे फर्जी मुठभेड़ में मार डाला। वहीं जब याची ने पुलिस की कथित मुठभेड़ में बेटे की हत्या के बारे में पुलिस अफसरों के खिलाफ शिकायत दर्ज करानी चाही तो उसे दर्ज नहीं किया गया। अपर शासकीय अधिवक्ता ने जवाबी हलफनामा दायर करके कहा, थाना-हाईवे जिला-मथुरा में हत्या तथा डकैती मामले में 2023 में मुकदमा दर्ज किया गया था। जांच के दौरान मोहसिन नाम के एक व्यक्ति को पुलिस ने गिरफ्तार करते हुए उसके कब्जे से लूटी गई रकम में से 2,10,000 रुपये, तीन कलाई घड़ियां, चांदी के सिक्के आदि बरामद किए।
156 (3) के तहत दिया जा सकता है प्रार्थना पत्र
मोहसिन का दोस्त फारुख भी इस मामले में शामिल था। सेठ कृष्ण कुमार के घर फारुख और उसके सह-अभियुक्त मोहसिन ने डकैती डाली थी। इसमें कृष्ण कुमार और उनकी पत्नी की हत्या कर दी गई। जब याची का बेटा फारुख, कृष्ण कुमार की इनोवा गाड़ी में लूटी गई नकदी और गहने लेकर भाग रहा था, तो पुलिस ने उसे चुनौती दी। इस पर उसने पुलिस पर गोली चलाई। पुलिस ने बचाव में उस पर गोली चलाई जिसमें उसकी मौत हो गई। गाड़ी से उसके कब्जे से लूटा गया सामान व नकदी बरामद की गई। साथ ही यह भी प्रस्तुत किया गया कि याचिकाकर्ता के मृत बेटे का आपराधिक इतिहास था। उच्च न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा, एफआईआर दर्ज न होने पर 154(3) के तहत एसपी के यहां प्रार्थना पत्र देना चाहिए। फिर भी एफआईआर दर्ज नहीं होती तो 156(3) के तहत मजिस्ट्रेट के पास प्रार्थना पत्र दिया जा सकता है। सीआरपीसी की धारा 200 के तहत आपराधिक शिकायत दर्ज करने का भी प्रावधान है। कोर्ट ने कहा, एफआईआर दर्ज कराने के इतने वैकल्पिक उपाय हैं तो याचिका पर विचार क्यों किया जाए। मामले में हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। याची नियमानुसार एसपी या मजिस्ट्रेट से एफआईआर दर्ज कराने के लिए संपर्क कर सकता है।