अयोध्या में प्रभु 'श्रीराम' और काशी में 'महादेव' को चढ़ रहा गोरक्षनगरी का कमल
गोरखपुर। रामगढ़ताल की खूबसूरती को और बढ़ाने के लिए गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) द्वारा ताल में पैडलेगंज और चिड़ियाघर के किनारे कमलनाल की रोपाई कराई गई है। ताल में इस समय खिले कमल के फूल अपनी अद्भुत छटा बिखेर रहे हैं। यह फूल ताल की खूबसूरती बढ़ाने के साथ अयोध्या में श्रीराम और काशी में भोले बाबा को चढ़ाने के भी काम आ रहे हैं। जीडीए ने वर्ष 2020 में रामगढ़ताल में करीब पांच एकड़ में कमलनाल की रोपाई कराया था, जो इस समय ताल में करीब 10 एकड़ से अधिक एरिया में फैल चुका है। देवरिया बाईपास रोड पर चिड़ियाघर से सहारा इस्टेट तक ताल में फैले कमल के पौध पर खिले फूल इस क्षेत्र को खूबसूरत बना रहें हैं। जीडीए स्थानीय लोगों की मदद से कमल के फूल की देखरेख करवा रहा है। प्राधिकरण के जनसंपर्क अधिकारी यशवंत सिंह के नेतृत्व में कमलनाल की रोपाई कराई गई है। यशवंत सिंह का कहना है कि ताल में कमल के पौधों की देखरेख के लिए स्थानीय लोगों की मदद ली जाती है। वह लोग ही फूल निकाल कर बेचते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि सप्ताह में आठ से 10 बोरा कमल का फूल निकाला जाता है। कुछ फूल तो स्थानीय बाजार में बिक जाते हैं। डिमांड पर यहां से फूल को अयोध्या, काशी, वृंदावन और ऋषिकेश तक भेजे जाते हैं। एक फूल का 20 से 30 रुपये तक मिल जाते हैं
त्योहार में रहती है ज्यादा मांग
सनातन धर्म में कमल के फूल का विशेष महत्व है। पूजा-पाठ में इसकी अधिक मांग रहती है। पिछले कुछ वर्षों में कमल की खेती का चलन तेजी से बढ़ा है। बाजार में इसकी अच्छी कीमत भी मिलती है, लेकिन दीपावली में जब इसकी मांग अधिक रहती है तब फूल नहीं मिलते हैं। नवरात्र से दीपावली तक कमल के फूल की मांग अधिक रहती है। दीपावली के समय 50 से 60 रुपये में फूल बिकते हैं। सावन में भी फूल की मांग बढ़ जाती है।
कमल गट्टा और कमलनाल की रहती है मांग
कमल फूल के बीज को कमल गट्टा कहा जाता है, यह काले रंग का होता है। इसका उपयोग पूजा पाठ के साथ तंत्र-मंत्र में किया जाता है। वहीं खाने में भी इसका प्रयोग किया जाता है। कमल के इस फल में मौजूद बीजों को छीलकर खाया जाता है, जो मूंगफली के तरह होते हैं। इसके बीच कई प्रकार के पोषक तत्वों से भरपूर रहते हैं, जिससे इसकी मांग और बढ़ जाती है।
जीडीए उपाध्यक्ष आनंद वर्द्धन ने बताया कि रामगढ़ताल में कमल के फूल सुंदरता बढ़ाने के साथ आस्था के भी काम आ रहे हैं। आसपास रहने वालों में भी इसे लेकर सकारात्मक रुख रहता है। इसकी देखभाल के लिए हर स्तर पर प्रयास किया जाएगा।