अब 'भगवान' को भी देना होगा शपथ पत्र, तब जांच सकेंगे मरीजों की नब्ज

अब 'भगवान' को भी देना होगा शपथ पत्र, तब जांच सकेंगे मरीजों की नब्ज

गोरखपुर। प्राइवेट अस्पतालों की मान्यता रद्द होने का संकट टल गया है। नियम बनाया गया था कि एक डॉक्टर एक से ज्यादा अस्पतालों में प्रैक्टिस करते मिला तो अस्पताल का लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा। अगर प्रैक्टिस कर रहा है तो शपथ पत्र देकर घोषणा करनी होगी।  मामला शासन तक पहुंचा तो स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया। आईएमए और स्वास्थ्य विभाग के बीच देर शाम आईएमए भवन में हुई बैठक में इसका हल निकाला गया। तय यह हुआ कि अस्पतालों के पंजीकरण में एक डॉक्टर-एक अस्पताल का नियम तो लागू रहेगा, लेकिन डॉक्टरों को एक से अधिक जगह प्रैक्टिस की छूट मिलेगी। हालांकि, इसके लिए उन्हें पंजीकरण के समय में ही अंशकालिक अथवा ऑन कॉल का विकल्प भरना होगा। साथ ही डॉक्टरों को अपना संपूर्ण विवरण व शपथपत्र भी देना होगा। जिले में करीब 800 अस्पताल हैं, जिनमें क्लीनिक, अल्ट्रासाउंड और पैथालॉजी के अलावा 50 बेड से अधिक के नर्सिंग होम भी शामिल हैं। पिछले दिनों लगातार अवैध अस्पतालों के संचालन का मामला खुलने पर एक बात हर जगह सामने आई थी कि डॉक्टरों के नाम का बोर्ड लगाकर झोलाछाप उसका संचालन कर रहे थे। इस पर रोक लगाने के लिए सीएमओ की तरफ से नवीनीकरण और पंजीकरण से संबंधित गाइडलाइन जारी की गई थी। नए नियमों के अनुसार, एक डॉक्टर के नाम पर केवल एक ही अस्पताल का पंजीकरण होगा। डॉक्टर और पैरा मेडिकल स्टॉफ को उपस्थित होकर अपना सत्यापन कराना होगा। उस अस्पताल पर केवल उसी डॉक्टर के नाम का डिस्प्ले बोर्ड भी लगाया जाएगा। जिन अस्पतालों में मरीज भर्ती होंगे, वहां 24 घंटे एक प्रशिक्षित डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टॉफ की मौजूदगी अनिवार्य होगी। इसके अलावा जहां ट्रामा सेंटर होगा, वहां ऑक्सीजन की 24 घंटे उपलब्धता, तीन शिफ्ट में डॉक्टरों की मौजूदगी, प्रशिक्षित स्टॉफ और खुद के एंबुलेंस आदि के नियम के सख्ती से पालन की बात कही गई थी। इन नए नियमों के आधार पर पंजीकरण व नवीनीकरण के लिए 30 अप्रैल तक पोर्टल पर आवेदन करना है। इसके बाद एक मई से आवेदनों का सत्यापन कर पंजीकरण या नवीनीकरण किया जाना है। नए नियमों की सख्ती से करीब 300 अस्पतालों के मान्यता पर संकट आ गया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए आईएमए ने हस्तक्षेप किया। इसके बाद शाम साढ़े सात बजे से आईएमए भवन में बैठक शुरू हुई। स्वास्थ्य विभाग की तरफ से डिप्टी सीएमओ व पंजीकरण प्रभारी डॉ. एके सिंह पहुंचे। आईएमए से जुड़े डॉक्टरों ने अस्पतालों के पंजीकरण में आने वाली दिक्कतों पर चर्चा की। इस दौरान डॉ. एके सिंह ने कहा कि ये नियम अवैध अस्पतालों पर नियंत्रण के लिए लागू किए गए हैं। प्रशिक्षित डॉक्टरों पर इसका प्रभाव नहीं पड़ेगा। पंजीकरण में आने वाली दिक्कतों को स्वास्थ्य विभाग की तरफ से दूर कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि जो डॉक्टर ऑन काल या अंशकालिक तौर पर काम कर रहे हैं, उन्हें पंजीकरण में इसका उल्लेख करना होगा और इससे संबंधित शपथ पत्र भी देना होगा।

एचएफआर-एचपीआर की होगी अनिवार्यता
पंजीकरण के नए नियमों में आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन पोर्टल पर एचएफआर (हेल्थ फैसिलिटी रिकॉर्ड) और एचपीआर (हेल्थ प्रोफेशनल रिकार्ड) पर डॉटा देना है। डॉक्टर इस बात को लेकर चिंतित थे कि यह डॉटा देना अनिवार्य है अथवा वैकल्पिक। इस पर डिप्टी सीएमओ डॉ. एके सिंह ने बताया कि यह डॉटा देना सभी डॉक्टर व अस्पतालों के अनिवार्य है। ऐसा इसलिए कि स्वास्थ्य विभाग इसके लिए सभी सरकारी, निजी अस्पतालों व उनके संसाधनों का एकीकृत डॉटा बना रहा है। इस पर डॉक्टरों का कहना था कि चूंकि डिग्री व अस्पताल से संबंधित सभी रिकॉर्ड डिजिटल प्लेटफॉर्म पर देना है, इसलिए डॉक्टरों को इसका प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। इस पर डिप्टी सीएमओ ने उन्हें डॉटा भरने की जानकारी विस्तार से दी।

इन नियमों का कराया जाएगा पालन
50 बेड से कम क्षमता वाले चिकित्सा प्रतिष्ठानों के पंजीकरण / नवीनीकरण के लिए आवश्यक शर्तें चिकित्सक एवं पैरामेडिकल कर्मचारियों का उप्र मेडिकल काउंसिल /फैकल्टी में पंजीयन अनिवार्य है। चिकित्सक एवं पैरामेडिकल स्टॉफ के स्वहस्ताक्षरित शैक्षिक प्रमाण-पत्रों की छायाप्रति।आवेदन करने के सात दिन के अंदर सभी चिकित्सक एवं पैरामेडिकल स्टॉफ अपने मूल शैक्षिक प्रमाण-पत्रों के साथ स्वयं भौतिक रूप से उपस्थित होकर सत्यापन कराना सुनिश्चित करेंगे अन्यथा ऐसे आवेदनों पर विचार नहीं किया जाएगा। चिकित्सक एवं पैरामेडिकल का एक ही प्रतिष्ठान में कार्य करने का शपथपत्र।

अग्निशमन विभाग की आनलाइन अनापत्ति प्रमाणपत्र
प्रतिष्ठान का ब्लूप्रिंट / नक्शा मान्यता प्राप्त आर्किटेक्ट की ओर से प्रमाणित आवेदक, डॉक्टर एवं पैरामेडिकल स्टाफ का शपथपत्र स्पष्ट एवं नवीन फोटो युक्त होने चाहिए।  पिछले वर्ष के पंजीकरण / नवीनीकरण की छायाप्रति (केवल नवीकरण के लिए)। प्रतिष्ठान में 24 घंटे आक्सीजन उपलब्धता का प्रमाण पत्र (इंडोर सर्विस के लिए)।

आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन पोर्टल पर एचएफआर एवं एचपीआर की सूचना (नवीनीकरण के लिए) अस्पताल के मुख्य द्वार पर डिस्प्ले बोर्ड की वाल पेंटिंग (बैकग्राउंड पीला एवं फांट काला साइज 5गुणा3 फुट का) लगाते हुए उसका रंगीन फोटो डिस्प्ले बोर्ड पर केवल उन्हीं चिकित्सकों / पैरामेडिकल स्टाफ का विवरण अंकित किया जाय जो आपके हास्पिटल में पंजीकृत है। संचालक चिकित्सक, पैरामेडिकल एवं अन्य समस्त स्टाफ की स्पष्ट ग्रुप फोटो (नवीन ए4साइज)। जिन चिकित्सालयों में आईसीयू की सुविधा है, उसका स्पष्ट विवरण आवदेन पत्र में अंकित होना अनिवार्य है। इस हेतु तीन चिकित्सक एवं तीन पैरामेडिकल स्टाफ फुल टाइम अनिवार्य है। सीएमओ डॉ आशुतोष दुबे ने बताया  हाईकोर्ट के निर्देशानुसार ही अस्पतालों के पंजीकरण की प्रक्रिया पूर्ण कराई जाएगी। एक डॉक्टर के नाम पर एक ही अस्पताल का पंजीकरण होगा, लेकिन वे एक से अधिक जगह प्रैक्टिस कर सकेंगे। इसकी सूचना पंजीकरण में देनी होगी। अस्पताल पंजीकरण व नवीनीकरण के लिए 30 अप्रैल तक आवेदन किया जाएगा। आईएमए को भी नियमों से अवगत कराया गया है

अध्यक्ष आईएमए स्मिता जायसवाल ने बताया कि अभी एनेस्थिसिया, पीडियाट्रिक और कई अन्य स्पेशलिस्टों की कमी है। इसके चलते एक डॉक्टर को एक से अधिक जगह अपनी सेवाएं देनी होती हैं। ऐसे में अगर प्रैक्टिस पर रोग लगेगी तो इससे मरीजों को नुकसान होगा। लेकिन, अवैध अस्पतालों पर नियंत्रण के लिए नियमों में कुछ सख्ती भी जरूरी है। इसलिए यह ठीक है कि अगर डॉक्टर एक से अधिक जगह प्रैक्टिस करते हैं तो इसकी सूचना स्वास्थ्य विभाग को जरूर दें। दूसरे स्वास्थ्य विभाग को भी यह चेक करना चाहिए, कि अस्पताल पर जिसके नाम का बोर्ड लगा है, वह वहां वास्तव में प्रैक्टिस कर रहा है या नहीं। अवैध अस्पतालों के संचालन पर रोक लगाने में सबकी भूमिका होनी चाहिए। एक्जक्यूटिव मेंबर, आईएमए, डॉ इमरान अख्तर ने बताया कि डॉक्टरों के नाम का गलत इस्तेमाल न हो, इसके लिए एक अस्पताल-एक डॉक्टर का नियम ठीक है। डॉक्टरों को एक से अधिक जगह प्रैक्टिस की छूट के दौरान इस बात का ख्याल जरूर रखा जाए कि इसका कोई गलत इस्तेमाल न करे।

डॉक्टर खुद भी अगर कहीं पहले प्रैक्टिस किए हैं और उन्हें इस बात की जानकारी है कि वहां हमारे नाम का बोर्ड लगा था, तो समय-समय पर चेक करते रहें। कहीं ऐसा न हो कि आपके नाम पर कोई झोलाछाप, मरीजों को ठग ले। इससे अंतत: अच्छे डॉक्टरों की ही बदनामी होती है। इसलिए अवैध धंधे पर नकेल कसने में हमें भी सहयोग करना चाहिए।