डूबते को तिनके का सहारा को सार्थक करने मैदान में उतरी प्रियंका

डूबते को तिनके का सहारा को सार्थक करने मैदान में उतरी प्रियंका

(रणभेरी): कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी की सक्रियता से कांग्रेस में नई ऊर्जा दिखाई देने लगी है। उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव से पहले लखीमपुर खीरी कांड के बाद यकीनन प्रियंका गांधी वाड्रा की छवि एक आक्रामक, जुझारू और निरंतर संघर्ष करते रहने वाली नेता के तौर पर उभरी है। वाराणसी में बाबा विश्वनाथ के दर्शन से लेकर रैली के मंच तक प्रियंका के लिए बड़ी भीड़ उमड़ी तो लखनऊ में उनके मौन व्रत और सत्याग्रह ने अलग ही सियासी समां बांधा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद राजेश मिश्रा कहते हैं कि बड़े दिन बाद पार्टी के लिए बनारस में उत्साह भरे दिन लौटे हैं।

वहां से प्रियंका गांधी वाड्रा लखनऊ में मौन धारण करने गईं तो हर पल उत्तर प्रदेश सरकार का तापमान बढ़ने लगा। 12 अक्तूबर को वह लखीमपुर खीरी अरदास में शामिल हुईं। उनके साथ काफिले में चलने वाले सूत्र का कहना है कि अब तो वह पार्टी का चेहरा नहीं, ताकत हैं। यह तो साथ चलने पर दिखाई देता है।

वही वो यूपी की सत्तारुढ़ पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को लगातार निशाने पर ले रही हैं और इतना ही नहीं उनकी कोशिश राज्य में अपनी छवि हिंदुत्व के एक ब्रांड के तौर पर बनाने की भी है।  प्रियंका गांधी वाड्रा की यह आक्रमकता आने वाले दिनों में कांग्रेस के लिए फायदेमंद साबित होगी या फिर इससे उल्टा बीजेपी को ही फायदा होगा।लखीमपुर खीरी में 8 लोगों की जान जाने के बाद प्रियंका गांधी वाड्रा 3 अक्टूबर की रात लखनऊ पहुंची थीं। यहां उत्तर प्रदेश की पुलिस ने उन्हें रोकना चाहा लेकिन वो पुलिस वालों को गच्चा देकर निकल गईं। 

इस दौरान वो लगातार सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए जनता के बीच अपनी मौजूदगी का एहसास कराती रहीं। इसमें से एक पोस्ट कि काफी चर्चा भी हुई थी जिसमें वो पुलिस गेस्ट हाउस में फर्श पर झाड़ू लगाती नजर आई थीं। बताया जाता है कि जब यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बीच फोन पर बातचीत हुई उसके बाद प्रियंका गांधी को रिहा कर दिया गया। प्रियंका गांधी ने रिहा होने के बाद दलित बस्ती में झाड़ू लगाया और इसकी भी काफी चर्चा हुई। झाड़ू लगाने के बाद उन्होंने बीजेपी नेताओं पर तंज भी कसा कि वो दलित विरोधी हैं। जिसके बाद योगी आदित्यनाथ को यह कहना पड़ा कि जनता उनको इसी लायक बनाना चाहती है। लखीमपुर खीरी में प्रियंका गांधी पीड़ित किसान के परिवारों से मिलीं। यहां उन्होंने हिंसा में मारे गए पत्रकार के परिजनों से भी मुलाकात की। प्रियंका गांधी ने मीडिया से कहा कि वो उन बीजेपी कार्यकर्ताओं के परिजनों से भी मिलना चाहती हैं जिनकी जान गई है। 

फ़िलहाल प्रियंका गांधी की तमाम कोशिशों के बावजूद राज्य में बीजेपी काफी मजबूत स्थिति में नजर आती है जिसे पछाड़ना कांग्रेस, सपा या बसपा किसी के लिए भी आसान नहीं है। साल 2014 में बीजेपी को 43 फीसदी वोट मिले थे। साल 2017 में बीजेपी का वोट शेयर 40 फीसदी था। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को यूपी में करीब 50 फीसदी वोट मिले थे। जबकि एसपी और बीएसपी ने यहां गठबंधन में चुनाव लड़ा तो तो भी एसपी को 18.1 और बीएसपी को 19.42 फीसदी वोट मिले थे।