ऐतिहासिक भरत मिलाप लीला की शुरू हुई तैयारी

ऐतिहासिक भरत मिलाप लीला की शुरू हुई तैयारी

वाराणसी (रणभेरी): काशी की 478 साल पुरानी नाटीइमली की भरत मिलाप की लीला के इस वर्ष अपने पारंपरिक स्थान पर होने के संकेत मिल गए हैं। लीला स्थल पर हो रही बैरिकेडिंग से लोगों को संकेत मिल रहा है।इस लक्खा मेले को कम से कम लोगों के बीच कराने की चुनौतियों से पार पाने का तरीका खोज रहे जिला प्रशासन और लीला कमेटी के सदस्यों ने अभी कुछ नहीं कहा है मगर लीला स्थल पर हो रही बैरिकेडिंग ने संकेत दे दिए हैं कि भरत मिलाप की लीला मूल स्थान पर अपने परंपरागत स्वरूप में होगी। हाथी पर सवार होकर काशी राजपरिवार के सदस्य भी शामिल होंगे। बुधवार को लीला स्थल के दक्षिण स्थित प्राचीन पीपल की काफी नीच तक लटक चुकी डालियों को छांटा गया।

कोरोना महामारी के कारण गत वर्ष 477वें साल की लीला भरत मिलाप मैदान के स्थान पर अयोध्या भवन में कराई गई थी। नाटीइमली के प्राचीन भरत मिलाप की पूरे विश्व में ख्याति है। काशी के इतिहास पर लिखी गई पुस्तकों में उल्लेख मिलता है कि संत तुलसीदास के मित्र मेघा भगत की शुरू कराई गई रामलीला के अंतर्गत भरत मिलाप के प्रसंग में सूर्य किरणों के रुप में नारायण स्वयं उपस्थित होते हैं। ह्यसोच विचार पत्रिका की शृंखला प्रकाशित करने वाले समीक्षक डॉ. जितेंद्रनाथ मिश्र ने बताया कि मौसम कितना भी खराब क्यों न रहा है, भरत मिलाप के समय सूर्य भगवान की किरणें चारों भाइयों पर पड़ती ही हैं।