मेडिकल साइंस में नई क्रांति, अब सुअर की किडनी से बचेगी इंसान की जान

मेडिकल साइंस में नई क्रांति, अब सुअर की किडनी से बचेगी इंसान की जान

(रणभेरी): दुनिया में खराब किडनी से जूझ रहे लाखों लोगों को ट्रांसप्लांट के अभाव में अब अपनी जान नहीं गंवानी पड़ेगी। अमेरिका में वैज्ञानिकों ने अस्थाई रूप से एक सूअर की किडनी को मानव शरीर से जोड़ने में सफलता हासिल की है। जिससे दुनिया में लाखों मरीजों की जिंदगी बचाने का रास्ता साफ हो गया है। यह कारनामा न्यूयॉर्क शहर के एनवाईयू लैंगोन हेल्थ मेडिकल सेंटर के सर्जनों ने किया है। ट्रांसप्लांट होने के बाद सुअर की किडनी मरीज के शरीर में सही ढंग से काम कर रही है। सर्जरी में भाग लेने वाले डॉक्टर पैनल के हेड डॉ रॉबर्ट मोंटगोमरी ने इस बारे में विस्तार से जानकारी दी। सुअर की किडनी लगाई गई, वह काफी समय से ब्रेन डेड हो चुका था।  हालांकि उसका दिल और दूसरे अंग अब भी काम कर रहे हैं। उस मरीज के परिवार वालों से परमीशन लेकर डॉक्टरों ने लंबी सर्जरी करके सुअर की किडनी मरीज के शरीर से बाहर एक बड़ी धमनी से जोड़ी है, जिससे उसे खून और ऑक्सीजन मिलती रहे। 

डॉक्टरों की हैरानी का उस समय कोई ठिकाना नहीं रहा, जब मरीज के शरीर ने सुअर की किडनी को स्वीकार कर लिया। उस किडनी ने बॉडी में बनने वाले कचरे को सफलतापूर्वक छानकर पेशाब को अलग कर दिया।  किडनी ने मरीज के शरीर में पेशाब की उतनी ही मात्रा बनाई, जितना कोई इंसानी किडनी बनाती है।  

मेडिकल क्षेत्र के विशेषज्ञों ने कहा कि यह चिकित्सा प्रक्रिया में एक मील का पत्थर है। शोध की अभी तक समीक्षा नहीं की गई है और न ही किसी मेडिकल जर्नल में इसे प्रकाशित किया गया है। प्रत्यारोपित गुर्दा एक सुअर से प्राप्त किया गया था जिसे आनुवंशिक रूप से डिजाइन किया गया था ताकि मानव शरीर द्वारा उसे अस्वीकार किए जाने की संभावना न हो। एक वास्तविक प्रत्यारोपण प्रक्रिया के करीब में, गुर्दा एक ऐसे व्यक्ति से जुड़ा था जो ब्रेन डेड था। उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था। जॉन्स हॉपकिन्स स्कूल ऑफ मेडिसिन में ट्रांसप्लांट सर्जरी के प्रोफेसर डॉ डोरी सेगेव ने कहा, "हमें अंग की लंबी उम्र के बारे में और जानने की जरूरत है." फिर भी, उन्होंने कहा, "यह एक बड़ी सफलता है, बहुत बड़ी बात है"।