Navratri 2021: जानिए कैसे कहलाई ये ब्रह्मचारिणी? क्या इनकी पूजा विधि और आराधना मंत्र

Navratri 2021: जानिए कैसे कहलाई ये ब्रह्मचारिणी? क्या इनकी पूजा विधि और आराधना मंत्र

वाराणसी (रणभेरी): आज शारदीय नवरात्रि की दूसरा दिन है। नवरात्रि के दूसरे दिन मां के द्वितीय स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा- अर्चना की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से व्यक्ति को अपने कार्य में सदैव विजय प्राप्त होता है। मां ब्रह्मचारिणी दुष्टों को सन्मार्ग दिखाने वाली हैं। माता की भक्ति से व्यक्ति में तप की शक्ति, त्याग, सदाचार, संयम और वैराग्य जैसे गुणों में वृद्धि होती है।ब्रह्मचारिणी का अर्थ होता है, तप का आचरण करने वाली। इनका का स्वरूप अत्यंत तेजमय और भव्य है। इनके वस्त्र श्वेत हैं। 

जानिए मां ब्रह्मचारिणी की कथा......

मां ब्रह्मचारिणी ने अपने पूर्व जन्म में राजा हिमालय के घर में पुत्री रूप में लिया था। तब देवर्षि नारद के उपदेश से इन्होंने भगवान शंकर को अपने पति रूप में प्राप्त करने के लिए अत्यंत कठिन तपस्या की थी। इस दुष्कर तपस्या के कारण इन्हें तपस्चारिणी अर्थात ब्रह्मचारिणी नाम से अभिहित किया गया। कथा के अनुसार एक हज़ार वर्ष उन्होंने केवल फल, मूल खाकर व्यतीत किए और सौ वर्षों तक केवल शाक पर निर्वाह किया था। कुछ दिनों तक कठिन उपवास रखते हुए देवी ने खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के भयानक कष्ट भी सहे। कई हज़ार वर्षों की इस कठिन तपस्या के कारण ब्रह्मचारिणी देवी का शरीर एकदम क्षीण हो उठा, उनकी यह दशा देखकर उनकी माता मेना अत्यंत दुखी हुई और उन्होंने उन्हें इस कठिन तपस्या से विरक्त करने के लिए आवाज़ दी 'उ मा'। तब से देवी ब्रह्मचारिणी का एक नाम उमा भी पड़ गया। उनकी इस तपस्या से तीनों लोकों में हाहाकार मच गया। 

देवता, ऋषि, सिद्धगण, मुनि सभी देवी ब्रह्मचारिणी की इस तपस्या को अभूतपूर्व पुण्यकृत्य बताते हुए उनकी सराहना करने लगे। अंत में पितामह ब्रह्मा जी ने आकाशवाणी के द्वारा उन्हें संबोधित करते हुए प्रसन्न स्वर में कहा-'हे देवी! आज तक किसी ने ऐसी कठोर तपस्या नहीं की जैसी तुमने की हैं। तुम्हारे इस आलोकक कृत्य की चारों ओर सराहना हो रही हैं। तुम्हारी मनोकामना सर्वतोभावेन परिपूर्ण होगी। भगवान चंद्रमौलि शिवजी तुम्हे पति रूप में प्राप्त अवश्य होंगे। अब तुम तपस्या से विरत होकर घर लौट जाओ शीघ्र ही तुम्हारे पिता तुम्हें बुलाने आ रहे हैं।'

मां ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा विधि और आराधना मंत्र

सर्वप्रथम देवी को पंचामृत से स्नान कराएं, इसके बाद इन्हें पुष्प,अक्षत, कुमकुम, व सिंदूर आदि चीजें अर्पित करें। देवी ब्रह्मचारिणी को को सफेद और सुगंधित फूल चढ़ाने चाहिए। इन्हें मिश्री या सफेद रंग की मिठाई का भोग लगाएं। तत्पश्चात मां की आरती करें।
 
जाने मां ब्रह्मचारिणी का मंत्र उच्चारण 
या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।