हवन और कन्या पूजन कर माता को किया प्रसन्न, नवमी के साथ ही नवरात्रि संपन्न

हवन और कन्या पूजन कर माता को किया प्रसन्न, नवमी के साथ ही नवरात्रि संपन्न
  • नवमी को देवी दर्शन के लिए मंदिरों में लगी भक्तों की लंबी कतार
  • नवरात्रि के अंतिम दिन दर्शन पूजन कर किया सुख समृद्धि की प्रार्थना
  • महानवमी पर पूजी गई कन्याएं, पांव पखार और लाल चुनरी ओढ़ाकर किया पूजन-अर्चन

वाराणसी (रणभेरी): नवरात्रि में नवमी तिथि नवरात्रि की अंतिम तिथि होती है। इसीलिए इसका खास महत्व होता है।  इसे महानवमी भी कहते हैं। चैत्र और शारदीय नवरात्रि में इस तिथि को माता सिद्धिदात्री देवी की पूजा होती है। देवी के नौवें स्वरूप में मां सिद्धिदात्री की उपासना की जाती है। देवी के इस रूप को देवी का पूर्ण स्वरूप माना जाता है।

मान्यता है कि केवल इस दिन मां की उपासना करने से सम्पूर्ण नवरात्रि की उपासना का फल मिल सकता है। महानवमी पर शक्ति पूजा भी की जाती है, जिसको करने से निश्चित रूप से विजय की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि नवमी के दिन महासरस्वती की उपासना करने से विद्या और बुद्धि की प्राप्ति होती है। नवदुर्गा में मां सिद्धिदात्री का स्वरूप अंतिम और नौवां स्वरूप है। यह समस्त वरदानों और सिद्धियों को देने वाली हैं। यह कमल के पुष्प पर विराजमान हैं और इनके हाथों में शंख, चक्र, गदा और पद्म है। कहा जाता है कि यक्ष, गंधर्व, किन्नर, नाग, देवी-देवता और मनुष्य सभी इनकी कृपा से सिद्धियों को प्राप्त करते हैं। इस दिन मां सिद्धिदात्री की उपासना करने से नवरात्रि के नौ दिनों का फल प्राप्त हो सकता है।

महानवमी पर कन्या पूजन कर मांगी मंगलकामना

शारदीय नवरात्र की महानवमी तिथि पर सुबह से ही हवन-पूजन का कार्यक्रम जारी है। हवन पूजन के बाद कन्या-भैरव पूजन किया जा रहा है। लोगों ने कन्या पूजन से एक दिन पहले कन्याओं को अपने घर आने का आमंत्रण दिया था। कन्याओं के आगमन के बाद सबसे पहले उनका पांव पखारकर उनको महावर लगाया गया। उसके बाद उन्हें देवीरूप मानकर गन्ध-पुष्पादि से अर्चन कर आदर सत्कार के साथ उनको घर में बैठाया गया। उसके बाद हलवा, पूड़ी, फल, मिठाई खिलाया गया। उसके बाद उनको वस्त्र और अन्य द्रव्य दक्षिणा देकर से सत्कृत किया गया।

काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी के अनुसार शास्त्रों में कहा गया है कि एक कन्या की पूजा से ऐश्वर्य की, दो क की पूजासे भोग और मोक्षकी, तीन की अर्चना से धर्म, अर्थ, काम-त्रिवर्ग की, चारकी अर्चना से राज्यपद की, पाँच की पूजा से विद्या की, छ:की पूजा से षट्कर्मसिद्धि की, सात की पूजा से राज्य की, आठ की अर्चना से सम्पदा की और नौ कुमारी कन्याओं की पूजा से पृथ्वी के प्रभुत्व की प्राप्ति होती है। कुमारी-पूजन में दस वर्षतक की कन्याओं का अर्चन विहित है। दस वर्ष से ऊपर की आयुवाली कन्या का कुमारी पूजन में वर्जन किया गया है। दो वर्ष की कन्या कुमारी, तीन वर्ष की त्रिमूर्तिनी, चार वर्ष की कल्याणी, पाँच वर्ष की रोहिणी, छ:वर्ष की काली, सात वर्षकी चण्डिका, आठ वर्ष की शाम्भवी, नौ वर्ष की दुर्गा और दस वर्षवाली सुभद्रा-स्वरूपा होती है। 

हवन के बाद ही हुआ भोगप्रसाद

पंडालों में हवन और पुष्पांजलि होते ही भोग प्रसाद ग्रहण करने का सिलसिला शुरू हो गया। वहीं बनारस की पूरी सड़कें और गलिया मां शेरोवाली के उद्घोष से गुंजायमान हो चुकीं हैं। भक्तगण मां को विदा करने से पहले ही उनके दूसरे साल वापस आने की कामना कर रहे हैं। कोरोना के कारण पिछले साल दुगार्पूजा नहीं मनाया गया था।

महानवमी पर मां देती हैं सभी सिद्धियां

नवरात्रि के आखिरी दिन यानी महानवमी को समस्त सिद्धि प्रदान करने वाली मां सिद्धिदात्री का पूजन किया जाएगा। अष्टमी तिथि की तरह ही नवरात्रि में नवमी तिथि का भी विशेष महत्व माना गया है। इस दिन मां दुर्गा के नौ स्वरूप की प्रतीक नौ कन्याओं और एक बालक को भी आमंत्रित कर बटुक भैरव का स्वरूप अपने घर आमंत्रित करके पूजन किया जाना चाहिए। साथ ही अगर देवी सरस्वती की स्थापना की हो तो उनका विसर्जन नवमी को किया जा सकता है। ये मन्वादि तिथि होने से इस दिन श्राद्ध का भी विधान है। इस तिथि पर सुबह जल्दी स्नान कर के दिनभर श्रद्धानुसार दान करने की परंपरा है। नवरात्र व्रत का पारण शु्क्रवार 15 अक्टूबर को प्रात: 6:16 के बाद किया जाएगा।

महानवमी तिथि की पूजा आज रवियोग में

अष्टमी तिथि की तरह ही नवरात्रि में नवमी तिथि का भी विशेष महत्व माना गया है। महानवमी तिथि की पूजा बृहस्पतिवार को रवियोग में की जाएगी। नवमी तिथि 14 अक्तूबर को रात 9.27 तक रहेगी। ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश प्रसाद मिश्र ने बताया कि इस दिन मां दुर्गा के नौ स्वरूप की प्रतीक नौ कन्याओं और एक बालक को भी आमंत्रित कर बटुक भैरव का स्वरूप अपने घर आमंत्रित करके पूजन किया जाना चाहिए। साथ ही अगर देवी सरस्वती की स्थापना की हो तो उनका विसर्जन नवमी को किया जा सकता है। ये मन्वादि तिथि होने से इस दिन श्राद्ध का भी विधान है। इस तिथि पर सुबह जल्दी स्नान कर के दिनभर श्रद्धानुसार दान करने की परंपरा है।

कल और परसों होगा प्रतिमाओं का विसर्जन

नगर निगम ने प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए दो अस्थाई जलाशयों के साथ छह कुंडों व तालाबों में तैयारी की है। विश्वसुंदरी पुल के नीचे और खिड़किया घाट पर अस्थाई जलाशय बनाए गये हैं। लक्ष्मीकुंड, शंकुलधारा, भिखारीपुर, कंपनी बाग, मछोदरी, लहरतारा में तालाबों में विसर्जन कराया जाएगा। इन जलाशयों की साफ सफाई का काम अभी पूरा नहीं हुआ है। अधिकारियों का दावा है कि गुरुवार तक सफाई का काम पूरा हो जाएगा। इसके अलावा रामनगर-सामने घाट के समीप 15 और 16 अक्टूबर को किया जाएगा। जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने नगर निगम को दोनों स्थान पर कुंड बनाने की जिम्मेदारी सौंपी है। पुलिस कमिश्नर ए. सतीश गणेश ने दोनों विसर्जन स्थलों पर 3-3 थानेदारों की तैनाती का निर्देश दिया है। इसके साथ ही विसर्जन रूट पर पर्याप्त संख्या में पुलिस और पीएसी के जवान तैनात रहेंगे।फोटो- कन्या

बाबा कीनाराम आश्रम में पूजी गयी कन्याएं

बाबा कीनाराम आश्रम क्रीं कुण्ड शिवाला में शारदीय नवरात्र कन्या पूजन के साथ आज सम्पन्न हुआ। वैसे तो शारदीय नवरात्र में कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है, परन्तु इस बार कोविड-19 की संभावित तीसरी वेब से बचने के लिए  कोरोनॉ नियमों का अनुपालन करते हुए कन्याओं का पूजन किया गया।

अघोरपीठ अघोराचार्य बाबा कीनाराम अघोर शोध एवं सेवा संस्थान के पीठाधीश्वर सर्वेश्वरी समूह एवं अघोर सेवा मंडल के अध्यक्ष बाबा सिद्धार्थ गौतम राम के दिशा निर्देशन एवं आशीर्वाद से कीनाराम आश्रम में नव कुमारी कन्याओं एवं भैरव का पूजन सामाजिक दूरी का पालन करते हुए पूरे उत्साह से आयोजित किया गया।

इसके पूर्व नन्हीं-नन्हीं कुमारी कन्याओं का पांव पखारे व शुभता के लिए महावर से रंगे गए, नए वस्त्र, बिंदी, कुमकुम आदि से श्रृंगार के उपरांत सजीली, चमकदार चुनरिया ओढाई गयीं। विधिवत पूजन कर सात्विक भोजन ( पूड़ी, सब्जी, खीर आदि पकवानों समेत दही, मिष्ठान और ऋतु फल) से तृप्त किया गया। कन्याओं के नौ देवी स्वरूपों एवं भैरव ने अपने बाल स्वरूप में भक्तगणों को आशीर्वाद प्रदान किया। पूजन आचार्य प्रकाश एवं संगीता सिंह ने किया।