नवरात्रि के सप्तमी तिथि पर श्रद्धालुओं ने किया मां कालरात्रि का दर्शन

नवरात्रि के सप्तमी तिथि पर श्रद्धालुओं ने किया मां कालरात्रि का दर्शन

वाराणसी (रणभेरी): शारदीय नवरात्र की सप्तमी तिथि को माता के कालरात्रि स्वरूप के दर्शन पूजन का महात्म्य  है। काशी में मां कालरात्रि का मंदिर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित कालिका गली में है। कहते हैं कि काल का विनाश करने की शक्ति के कारण इन्हें कालरात्रि कहा गया। देवी कालरात्रि का स्वरूप विकराल किंतु अत्यंत शुभ है। यह भी कहा जाता है कि देवी कालरात्रि अकाल मृत्यु से बचाने वाली और भय बाधाओं का विनाश करने वाली है। मां के चरणों में गुड़हल के फूल की माला, लाल चुनरी, नारियल, फल, मिष्ठान, सिंदूर, रोली, इत्र और द्रव्य अर्पित करना विशेष फलदायी माना गया है। मां के दर्शन-पूजन से उनके भक्तों की सारी मुरादें पूरी होती हैं। 

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पिछले कई वर्षों से होते आ रहे हैं दुर्गा पूजा समिति द्वारा मधुबन में सप्तमी के दिन मूर्ति स्थापित कर विधि विधान से पूजा प्रारंभ कर दी गई है। इस बार कोरोना वायरस को देखते हुए पंडाल का स्वरूप छोटा कर दिया गया है। इस साल 5 फीट की ही माता दुर्गा की मूर्ति को स्थापित कर पूजा की जा रही है। बीएचयू में बंगी समाज द्वारा मूर्ति स्थापित कर हर वक्त विधि विधान के साथ पूजन किया जाता है इस बार भी इस समाज द्वारा पूजन कराया जा रहा है।

दुर्गा पूजा आयोजक संजीव कुमार बोस ने बताया कि इस बार कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए पूजा का पंडाल छोटा है और किसी भी प्रकार का स्टॉल नहीं लगाया गया है। साथ हैं सांस्कृतिक कार्यक्रम को भी स्थगित कर दिया गया है। पूजा पंडाल में आने वाले लोगों को सेनेटाइजेशन और मास्क के लिए निर्देशित किया जा रहा है। और लोगों से इस का कड़ाई से पालन भी करवाया जा रहा है।

पंडालों में दर्शन के लिए आज से खुलेंगे पट

शहर के पंडालों में आज से दुर्गा प्रतिमाओं के पट श्रद्धालुओं के दर्शन-पूजन के लिए खोल दिए जाएंगे। आज पंडालों में नौ पत्रिका पूजन और प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। मिनी बंगाल कहलाने वाली काशी में बोधन के साथ बंगाली समुदाय ने भी मां की पूजा शुरू कर दी है। रंग-बिरंगी रोशनी से जगमग पंडालों की आभा देखते ही बन रही है। शाम 6 बजे से वाराणसी की सड़कों और गलियों में केवल मां भवानी के सुर सजने लगेंगे। गीत-संगीत के साथ शारदीय नवरात्र की महाषष्ठी तिथि पर आज वाराणसी के सारे 251 पंडाल खुल रहे हैं। कोविड के कारण इस साल हर बार की तरह कोई भव्य पंडाल नहीं लगाया गया है। मगर इसके बाद भी भक्तों में आज दर्शन को लेकर खासा कौतूहल है। वहीं शहर के सबसे लोकप्रिय पंडाल हथुआ मार्केट, तेलियाबाग, चंदासी और मछोदरी इस साल नहीं लगाए गए हैं। पूरे वाराणसी शहर में केवल 3 पंडाल शिवपुर, पांडेयपुर और अर्दली बाजार में भव्य बनाए गए हैं।

अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्याओं की पूजा और भोज कराकर श्रद्धालु देवी अन्नपूर्णा और महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त करेंगे। पूजा पंडालों में देवी बोधन, आमंत्रण और अधिवास के साथ विधिवत पूजा की गई। महाषष्ठी पूजन के दौरान मंत्रोच्चार करते हुए देवी को वस्त्र और आभूषण धारण कराए गए। वहीं बंगीय पूजा पंडालों में मां को सोने के गहनों से सजाया गया। दसों भुजाओं को अस्त्रों और शस्त्रों से ही नहीं बल्कि वैक्सीन, सैनिटाइजर, इंजेक्शन, दवाइयां और आला से सुशोभित कर दिया गया है। कोविड के काल में मां दुर्गा को महामारी हरणी का रूप दिया गया है। डॉक्टर स्वरूप में मईया हाथ में वैक्सीन लेकर कोविड रूपी महिषासुर का संहार कर रहीं हैं। यही नहीं महिषासुर को ब्लैक फंगस का भी रूप दिया गया है। भगवान गणेश ऑक्सीजन प्लांट तो वहीं कार्तिकेय महराज एंबुलेंस चला रहे हैं। 

आज मां काली की होगी महाआरती

शारदीय नवरात्रि की महासप्तमी पर आज शाम भोजूबीर पंचक्रोशी मार्ग पर स्थित मां दक्षिणेश्वरी काली का महानिशा पूजन और कालरात्रि दर्शन होगा। उधर, गंगा तट पर राजेंद्र प्रसाद घाट पर आयोजित नवरात्रि महोत्सव में आज भोजपुरी गायक व लोकसभा सांसद मनोज तिवारी आएंगे। 13 अक्टूबर को भोजपुरी गायक भरत शर्मा और 15 अक्टूबर को लोक गायिका मालिनी अवस्थी नवरात्रि महोत्सव में शामिल होंगे। इसके अलावा शहर में अलग-अलग सामाजिक संगठनों और क्लबों की ओर से डांडिया महोत्सव का आयोजन किया गया है।