कचरे के पहाड़ हटाकर प्रदेश में मिसाल बना आगरा, जाने कैसे -

कचरे के पहाड़ हटाकर प्रदेश में मिसाल बना आगरा, जाने कैसे -

(रणभेरी): आगरा में कुबेरपुर लैंडफिल साइट पर 10 वर्ष से जमा कचरे के पहाड़ खत्म करने में आगरा सूबे में मिसाल बन गया है। पुरे प्रदेश में आगरा इकलौता ऐसा शहर है, जो 9.57 लाख मीट्रिक टन कचरे के पहाड़ को खत्म कर खाली जमीन को पार्क में बदल रहा है। स्वच्छ भारत मिशन-1 में है। अब तक 8 लाख मीट्रिक टन कचरे का निस्तारण किया जा चुका है। लखनऊ आ रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने पांच अक्तूबर को मंगलवार को आगरा नगर निगम कुबेरपुर लैंडफिल साइट से बायोमाइनिंग तकनीक से कचरे के पहाड़ हटाने का प्रस्तिुतिकरण देगा।

पीएम प्रस्तावित वेस्ट टू एनर्जी (कचरे से बिजली बनाने) के प्लांट का 3डी मॉडल भी देखेंगे।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में बनी लैंडफिल साइट्स से कचरे के पहाड़ हटाने के  लिए स्वच्छ भारत मिशन-2.0 की शुरुआत की है। 

आगरा ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत पहले चरण में ही कुबेरपुर लैंडफिल साइट पर जमा 9.57 लाख मीट्रिक टन कचरे में से 8 लाख मीट्रिक टन कचरा हटा दिया है।नगला रामबल खत्ताघर की कैपिंग के बाद कुबरेपुर लैंडफिल साइट पर वर्ष 2011 से जमा कचरे के पहाड़ खत्म करने के लिए एनजीटी के आदेश पर 28 अक्तूबर 2019 से काम शुरू किया गया था। तत्कालीन पर्यावरण अभियंता राजीव राठी ने इसे शुरू कराया। जिस पर कुल 25.92 करोड़ रुपये खर्च होने हैं। प्रदेश में यह पहला लैंडफिल साइट है, जहां कचरे के पहाड़ खत्म किए गए हैं। यहां अब काम शुरू होने की अवधि में जमा कचरा ही बाकी है, जिसे वेस्ट टू एनर्जी प्लांट शुरू होने से पहले खत्म करने का दावा किया गया है।

नगर आयुक्त निखिल टी. फुंडे ने बताया कि प्रदेश में आगरा कचरे के पहाड़ खत्म करने वाला पहला नगर निगम है। प्रधानमंत्री की लखनऊ यात्रा के दौरान कुबेरपुर लैंडफिल साइट की प्रोसेसिंग का वीडियो और वेस्ट टू एनर्जी प्लांट के साथ ताज के पास सफाई का मॉडल पेश किया जाएगा।

आंकड़े-
- 72 एकड़ जमीन पर है कुबेरपुर लैंडफिल साइट
- 42 एकड़ में थे कचरे के पहाड़
- 9.57 लाख मीट्रिक टन कचरा था यहां
- 08 लाख मीट्रिक टन कचरा प्रोसेस किया गया
- 25.92 करोड़ रुपये हो रहे हैं खर्च
- 2011 से जमा होना शुरू हुआ कचरा
- 2019 से बायोमाइनिंग शुरू की गई