कानपुर के बाकरगंज बाजार में भीषण आग, 70 दुकानें जलकर खाक, 4 करोड़ का नुकसान
(रणभेरी): कानपुर में बुधवार तड़के बाकरगंज बाजार में आग लग गई। आग इतनी भीषण थी कि करीब दो किलोमीटर दूर से धुएं का गुबार नज़र आ रहा था। घटना में करीब 70 दुकानें जलकर खाक हो गईं। सूचना मिलते ही फायर ब्रिगेड की 10 गाड़ियां मौके पर पहुंचीं और लगभग तीन घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया। आग की लपटें इतनी तेज थीं कि आसपास के दुकानदार अपने सामान को सुरक्षित स्थान पर ले जाने में जुट गए। अनुमान है कि इस अग्निकांड में करीब 3.5 से 4 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। बाजार में ज्यादातर दुकानें कपड़े और किराना की थीं।
बाकरगंज कपड़ा कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद अमीन उर्फ मुन्ना के अनुसार, पिछले 20 सालों में यह आठवीं बार है जब बाजार में आग लगी है। इससे पहले 23 अप्रैल 2012 को भी इसी बाजार में भीषण आग लगी थी, जिसमें 200 से अधिक दुकानें जलकर खाक हो गई थीं। आखिरी बार 2017 में यहां आग लगने की घटना हुई थी। उन्होंने बताया कि बुधवार तड़के मस्जिद के आसपास की करीब 70 दुकानों में आग लगी, जिनमें प्रत्येक दुकान में औसतन 5 लाख रुपये से अधिक का नुकसान हुआ।
मुख्य अग्निशमन अधिकारी (सीएफओ) दीपक शर्मा ने बताया कि सुबह 5:15 बजे बाबूपुरवा पुलिस ने मिनी कंट्रोल रूम को आग लगने की सूचना दी थी। इसके बाद किदवई नगर, मीरपुर, कर्नलगंज, फजलगंज, लाटूश रोड, जाजमऊ समेत कई फायर स्टेशनों से 10 फायर टेंडर मौके पर भेजे गए। बाजार की गलियां संकरी होने के कारण गाड़ियां अंदर तक नहीं पहुंच पाईं, जिसके चलते मुख्य सड़क से ही आग बुझाने का कार्य किया गया। सीएफओ ने बताया कि गाड़ियों में पानी खत्म होने पर 17 राउंड तक पानी किदवई नगर स्थित साउथ एक्स मॉल से भरा गया। प्रारंभिक जांच में आग लगने की वजह शॉर्ट सर्किट बताई जा रही है।
आग के बाद एक बार फिर बाजार में पक्की दुकानें बनाने की मांग उठने लगी है। कपड़ा कमेटी अध्यक्ष मोहम्मद अमीन ने बताया कि यह बाजार लगभग 100 साल पुराना है और इसका मालिकाना हक बाबूपुरवा अजीतगंज निवासी जुनैद के पास है। वह 250 से अधिक दुकानों से किराया वसूलते हैं। बाजार में ज्यादातर दुकानें टीनशेड और टट्टर की बनी हैं, जिसके कारण बार-बार अग्निकांड की घटनाएं होती हैं। व्यापारियों ने कई बार पक्की दुकानें बनाए जाने की मांग की, लेकिन न तो बाजार मालिक ने कोई कदम उठाया और न ही प्रशासन ने इस दिशा में कोई ठोस कार्रवाई की।











